Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 53

background image
र ज त ज यं ति नी र थ या त्रा

















सोनगढमां फागण सुद बीजे सीमंधरप्रभुनी पधरामणीनी रजतजयंति प्रसंगे
भव्य रथयात्रा नीकळी...त्यारे सीमंधरभगवानना रथना सारथि तरीके जिनका भक्त
कानजी बेठेला छे तेनुं एक द्रश्य. भोपाल अने उज्जैनमां पण जिनरथना सारथी
तरीके तेओ बेठा हता. आ द्रश्य जोतां कुंदकुंदप्रभुनी वाणी याद आवे छे के
“चिन्मूर्ति मनरथ–पंथमां विद्या–रथारूढ धूमतो,
ते जिनज्ञानप्रभावकर समकितद्रष्टि जाणवो.”