Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९२
चंद्रपुरी, काकन्दी, भद्रिकानगरी, सिंहपुरी, कम्पिलानगर, रत्नपुरी, हस्तिनापुरी (३)
मिथिला (२), अने राजगृही.
(४) प्रश्न:– २४ तीर्थंकरोमांथी अयोध्यामां जन्म्या न होय ने सम्मेदशिखरथी
मोक्ष पाम्या न होय एवा भगवंतो केटला ने क्या क्या?
उत्तर:– एवा तीर्थंकरो त्रण छे वासुपूज्य नेमिनाथ अने वर्द्धमान; तेओ नथी
तो अयोध्यामां जन्म्या, के नथी सम्मेदशिखरथी मोक्ष पाम्या. तेमनो जन्म अनुक्रमे
चंपापुरी, शारीपुरी तथा कुंडलपुर (विशलीयो) मां थयो छे अने मोक्ष मंदारगिरि,
गीरनार तथा पावापुरीमां थयो छे.
अयोध्या अने सम्मेदशिखर ए बंने आपणा शाश्वत तीर्थ छे. तेनी नीचे मूळ
भूमिमां शाश्वत साथियानी कुदरती रचना छे.
चोवीस तीर्थंकरोना १६ जन्मधामने अने पांच मोक्षधामने, ए एकवीस तीर्थोने
नमस्कार हो.
आत्मधर्मना विकास माटे तथा बालविभाग माटे
आवेल रकमोनी यादी
प१) रमणीकलाल लालचंद दोशी घाटकोपर
२प) शेठ लालचंद रूगनाथ सुरेन्द्रनगर
प१) कांतीलाल वनेचंद शाह मुंबई
२प) मलुकचंद छोटालाल झोबाळीया सोनगढ
प१) जगजीवनदास चतुरभाई
सुरेन्द्रनगर
२प) गुलाबचंद माणेकचंद झोबाळीया सोनगढ
२०१) स्व. धारशीभाई वीरचंद
परनाळावाळा
ह. जसुमतीबेन (बालविभागना सभ्योने
पुस्तक भेट आपवा माटे)
प१) नवनीतलाल भुपतलाल दोशी घाटकोपर
(विशेष आवता अंके)