Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: चैत्र : २४९२ आत्मधर्म : ४१ :
(लेखांक १०)
तत्त्वरसिक जिज्ञासुओने प्रिय दशप्रश्न दश उत्तरनो
आ विभाग पू. गुरुदेव पासे थयेल तत्त्वचर्चाओमांथी
तेमज शास्त्रोमांथी तैयार करवामां आवे छे. –सं
* * *
(९१) प्रश्न:– आत्मा शरीर वगरनो होय?
उत्तर:– हा, आत्मा सदाय शरीर वगरनो ज छे. आत्मा पोताना गुण–पर्याय
वगरनो तो कदी न होय; ने परना गुण–पर्यायवाळो कदी न होय. शरीर
ए तो पुद्गलोनी पर्याय छे, ते कांई आत्मानी पर्याय नथी. परना एक
पण गुण–पर्याय आत्मामां नथी एटले आत्मा सदाय शरीर वगरनो ज
छे. आत्माना गुण–पर्यायो आत्मामां, ने जडना गुण–पर्यायो जडमां.
आ रीते दरेक वस्तु सदा पोताना गुण–पर्याय सहित छे. अत्यारे पण
आत्मा शरीरसहित नथी, आत्मा ज्ञानसहित छे.
(९२) प्रश्न:– आत्मा क्यां छे? आत्माने क्यां शोधवो?
उत्तर:– आत्मा पोताना गुण–पर्यायमां छे; पोताना गुणपर्यायमां आत्माने
शोधवो. गुण–पर्यायथी बहार शोधे तो आत्मा मळे नहि; केमके गुण–
पर्यायथी बहार आत्मा रहेतो नथी.
(९३) प्रश्न:– बंध मोक्षनां कारणो शुं छे? शरीरनी क्रियाथी बंध–मोक्ष छे के नहीं?
शुभराग मोक्षनुं कारण छे के नहीं?