Atmadharma magazine - Ank 270
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठानो
पचीसवर्षीय रजतजयंति महोत्सव








सं. १९९७ ना फागणसुद बीजे सोनगढमां श्री सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठा थई, ने
त्यारथी सोनगढ सौराष्ट्रना एक तीर्थधाम तरीके दिन–प्रतिदिन विकसी रह्युं छे. आ
२०२२ ना फागण सुद बीजे प्रभुजीनी पधरामणीना पचीस वर्ष पूर्ण थतां
जिनमंदिरनो रजतजयंति महोत्सव आनंदोल्लासपूर्वक उजवायो हतो. माह वद दशमथी
शरू करीने फागण सुद बीज सुधीना आठ दिवसनो अठ्ठाई महोत्सव थयो हतो. हंमेशा
विशेष पूजन–भक्ति उपरांत बालिकाओए देवगुरुना महिमा संबंधी नाटक कर्युं हतुं,
तेमज विधार्थीगृहे अकलंक–निकलंकनुं नाटक (बलिदान अने प्रभावना) कर्युं हतुं.
उत्सव दरमियान आठ दिवस सुधी उमंगभर्या पूजन–भक्ति कार्यक्रमो चाल्या
हता. फागण सुद बीजने दिवसे सवारे अत्यंत भक्तिभर्या समूहपूजन वखते श्री
कहानगुरुए पण पूजनमां भाग लीधो हतो. प्रवचन पछी भगवाननी रथयात्रा
नीकळी हती. रजतना रथमां सीमंधरस्वामी बिराजता हता; भव्य रथयात्रामां प्रभुना
सारथी तरीके प्रभुना भक्त कहान बिराजता हता; ने अत्यंत भक्तिपूर्वक सौ भक्तो
रथने चलावता हता आम रथयात्रा घणी उमंगभरी बनी हती. रथयात्रा बाद
जिनमंदिरना शिखर उपर नवीन ध्वजारोहण थयुं हतुं. आम आठ दिवसनो
रजतजयंति उत्सव आनंदथी उजवायो हतो.
“फागण सुद ११” पण आनंद उल्लासपूर्वक उजवाई हती. ए दिवसे पू. गुरुदेव
मुकुन्दभाईने घेर आहार माटे पधार्या हता.