Atmadharma magazine - Ank 271
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 2 of 81

background image
२७१
वीरना मार्गे
भाई, आ जीवनमां मारे मारुं
कल्याण करवुं ज छे–एवी ऊंडी
आत्मजिज्ञासापूर्वक चैतन्यनो महिमा
घूंटता घूंटता तारा निर्णयमां एम आवे
के अहो! हुंं ज स्वयं परिपूर्ण ज्ञान–
आनंदस्वरूप छुं; आवा निर्णयना जोरे
अंतर्मुख थतां प्रत्यक्ष स्वसंवेदनवडे
आत्मअनुभव थाय छे, ते सम्यग्दर्शन
छे. सम्यग्दर्शन थतां आत्मा परमात्माना
पंथे चडयो ने वीरना मार्गे वळ्‌यो.
वर्ष २३: अंक ७ वार्षिक लवाजम रूा चार वीर संवत २४९२ वेशाख