Atmadharma magazine - Ank 271
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष २३ अंक ७ * वीर सं. २४९२ वैशाख
वैशाख सुद बीज....आजे आपणा गुरुदेवनी जन्मजयंतिनो उत्तम
दिवस.....सोनगढमां अने भारतभरना मुमुक्षुओमां आजनो दिवस आनंदथी उजवाई
रह्यो छे. अहा, जे कहानगुरुए जिनमार्गनुं रहस्य बतावीने आपणने जैन बनाव्या.
अरिहंतोनुं अने सन्तोनुं अध्यात्मजीवन केवुं होय ते समजावीने आपणने
अध्यात्मजीवन जीवतां शीखव्युं, मोक्षनी साधना आनंदमय छे–एम देखाडीने आपणने
दुःख ने कलेशना मार्गेथी छोडाव्या. आत्मानी आराधना ए ज आ मनुष्यजीवननुं
साचुं ध्येय छे एम बतावीने जीवनना ध्येय तरफ वारंवार आपणने प्रोत्साहित कर्या,
जेम कुंदकुंदाचार्यदेवने तेमना परापरगुरुओए अनुग्रहपूर्वक शुद्धात्मतत्त्वनो उपदेश
आप्यो हतो तेम जेओ अनुग्रहपूर्वक आपणने निरंतर शुद्धात्मतत्त्वनो उपदेश आपी
रह्या छे ने अचिंत्यआत्मवैभव देखाडी रह्या छे, अने जेमनुं भूत–भविष्यनुं जीवन
आपणने तीर्थंकर भगवंतो प्रत्ये परम भक्ति जगाडे छे–एवा आ गुरुदेवनो
जन्मोत्सव उजवतां आत्मा उल्लसित थाय छे, अने एमनी मंगल चरणछायामां
शुद्धात्मानी आराधना पामीने जीवनने अतीन्द्रिय आनंदथी भरी दईए–एवी उर्मिओ
स्फूरे छे.
हे गुरुदेव! आपना जीवननी महत्ता शुद्धात्मानी आराधना वडे छे. आपना
जीवननी प्रत्येक पळनो उपयोग शुद्धात्मानी आराधनामां ज आप करी रह्या छो, तो
अमे पण आपनी पासेथी शुद्धात्मानी आराधना शीखीने ए जीवननो महोत्सव
ऊजवीए एवा आर्शीवाद आपना जन्मदिवसनी खुशालीमां आप अमने
आपो........एम प्रार्थीए छीए.