Atmadharma magazine - Ank 271
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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हे गुरुदेव! आपनी वैशाख सुद बीज....ए
सोनेरी दिवस छे. आपनुं सोनेरी जीवन ए अमने
आत्मिक साधना माटेनुं उत्तम उदाहरण आपी रह्युं
छे. तीर्थंकरो गणधरो–चक्रवर्तीओ वगेरे पुराण
पुरुषोनुं पावन जीवनचरित्र अने तेओए पूर्वभवोमां
करेली आत्मसाधना, शास्त्रोमां एनुं वर्णन वांचतां
पण मुमुक्षुने केवो आह्लाद थाय छे!! तो एवी
आत्मसाधनावंत जीवोनुं जीवन प्रत्यक्ष जोवा मळे,–
एटलुं ज नहि–एमना सहवासमां निरंतर साथे ने
साथे रहेवानुं बने,–ए प्रसंगे मुमुक्षुना आह्लादनी
शी वात! हे गुरुदेव! आपना प्रतापे अमने एवो
सुयोग मळ्‌यो छे....तेथी अमे तो एम ज समजीए
छीए के आपनी सोनेरी छायामां अमने आराधनानो
ज सोनेरी अवसर मळ्‌यो छे. आपना चरणमां
आराधना प्राप्त करीने अमारुं जीवन उज्वळ करीए
ने ए रीते आपनो मंगळ–जन्मोत्सव उजवीए–एवी
भावनापूर्वक आपने नमस्कार करीए छीए.