: ३० : आत्मधर्म : जेठ : २४९२
परम श्रुत षटखंडागम
जे श्रुतना बहुमानमां श्रुतपंचमी जेवुं पर्व प्रवर्त्युं, अने थोडा वर्षो पहेलां
जे श्रुतनां दर्शन पण दुर्लभ हता ते परम पावन जिनवाणी षट्खंडागमनी
ताडपत्र उपर लखेली मूळ प्रतिना अहीं (सामे पाने आपेला चित्रमां) दर्शन
थाय छे. आ प्रतो अत्यारे पण मूडबिद्रिना मंदिरमां बिराजमान छे, हजारो भक्तो
अत्यंत भक्तिपूर्वक एनां दर्शन करे छे; अने आपणने पण गुरुदेव साथे बे वखत
ए जिनवाणीनां दर्शन–स्पर्शननुं महाभाग्य मळ्युं छे. सामे पाने चित्रमां सात
ताडपत्र देखाय छे. तेनो परिचय–
१. आ ताडपत्र षट्खंडागम–धवल ग्रथंनु छे. तेनी मध्यमां पांच तीर्थंकरोनां
चित्रो छे. बंने छेडा पर प्रवचन करता आचार्य अने श्रोता–श्रावकनुं द्रश्य छे.
२. बीजुं ताडपत्र पण धवलग्रंथनुं छे; वच्चे तीर्थंकर बिराजमान छे अने बंने
तरफ ७–७ भक्तजनो वंदना करी रह्या छे.
३. आ ताडपत्र उपर कानडी लिपिमां हस्तलिखित धवल छे.
४. आ ताडपत्र उपर कानडी लिपिमां महाधवल लखेल छे.
प. आ ताडपत्र जयधवल ग्रंथनुं छे. बंने बाजु चित्रो छे. बीजा छेडाना
चित्रमां बाहुबली भगवाननुं द्रश्य छे.
६. आ महाधवल नुं २७मुं पानुं छे. वच्चे कानडीलिपिमां लखाण तथा बंने
बाजु चित्रो छे.
७.