Atmadharma magazine - Ank 272
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ३६ : आत्मधर्म : जेठ : २४९२
धर्मवत्सल बालबंधुओ,
बाल विभागमां तमारो सौनो उत्साह जोईने, तेना विकास माटे अनेक
जिज्ञासुओ तरफथी प्रोत्साहन मळी रह्युं छे. बाळकोनां ईनाम माटे केटलीक रकमो
पण आवेली छे, अने हवे ‘दर्शनकथा’ पछी बीजुं ईनाम शुं आपवुं? ते विचारी
रह्या छीए. अत्यारे तमारे रजाना दिवसो छे; रजाना दिवसोने एकली बहारनी
मजामां वापरी न नांखशो, पण नवा नवा धार्मिक साहित्यनुं वांचन करीने नवुं
नवुं ज्ञान मेळवजो, धर्मात्माओनो सत्संग करजो, तीर्थोनी यात्रा करजो, तमारा
साधर्मी मित्रो साथे तत्त्वनी चर्चा करजो....ने ‘आत्मधर्म’ वांचवानी भलामण
करवानी जरूर खरी? धार्मिकद्रष्टिए आ वेकेशननो तमे शुं सदुपयोग कर्यो ते
अमने जणावजो....ली. तमारो भाई हरि.
अमे जिनवरनां संतान: अमे बालविभागना सभ्य
बाल विभागना नवा सभ्योमां नामो अहीं आप्यां छे. अगाउ छपायेला
नामोमां क््यांक क््यांक भूल थई छे; जेमना नाममां भूल होय ते अमने सूचवशो
तो अमे रजीस्टरमां सुधारी लईशुं. दिवसे दिवसे आपणो बालविभाग वधतो
जाय छे. बाळको! तमे पण सभ्य बनो अने पर्युषण पहेलां सभ्य संख्या एक
हजार ने एक सुधी पहोंचाडी दो.
६६४ A. दीलीपकुमार वी. जैन राजकोट ६७७ रेखाबेन रजनीकान्त जैन मुंबई
६७१ रमेशचंद्र जेवंतलाल जैन मोरबी ६७८ रक्षाबेन नवीनचंद्र जैन मुंबई–३
६७२ राजेशचंद्र जे. जैन ६७९ विपुल कान्तिलाल जैन मुंबई–६४
६७३ शैलेषचंद्र जे. जैन ६८० राजेन्द्र मोहनलाल जैन वालवोड
६७४ भरत रतिलाल जैन अमदावाद ६८१ विदेहाबेन पुनमचंद जैन थाणा
६७प रमेशचंद्र दलीचंद जैन वांकानेर ६८२ अशोककुमार प्रभुदास जैन वडोदरा
६७६ कमलेशकुमार रजनीकान्त जैन मुंबई–२८ ६८३ जितेन्द्रकुमार प्रभुदास जैन