Atmadharma magazine - Ank 272
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: प० : आत्मधर्म : जेठ : २४९२
अमारा त्रीजा कोलेजीयन सभ्य (नं. प९८) लखे छे–
आ पण अमारा बालविभागना एक कोलेजीयन सभ्यनुं लखाण छे; तेणे
सोनगढमां रहीने सारो अभ्यास कर्यो छे. हाल मोरबी कोलेजमां अभ्यास करता होवा
छतां साथे धार्मिक अभ्यासनो पण सारो रस धरावे छे. तेमनी डायरीनुं आ लखाण
अलंकारिकभाषामां होवा छतां, बाळकोने गमे तेवुं होवाथी सुधारा वधारा साथे अहीं
आप्युं छे:
अमारुं नगर
बालविभागना आ सभ्य पोतानी नोंधपोथीमां बहु अल्प भवो पछीनुं
पोतानुं सरनामुं लखे छे के–
चेतनजी अभेदजी अनामी,
८मो माळ; सिद्धिशिला शेरी, आनंदमहेल,
असंख्यप्रदेशालय.
सिद्धनगर.
हा, पण तमे पत्र लखो तो ते टपालपेटीमां नांखशो नहि, तमे टपालमां नांख्या
वगर पण तमारो सन्देश अमने घरे बेठा मळी जशे. अमे कोईना पत्रनो जवाब
आपता नथी. जो के अमे कोईनुं कांई काम करी आपता नथी छतां कामकाजमां अमने
याद करशो तो तमारुं काम सुगम थशे ने तमने आनंद थशे. अमारुं तमने त्यां आववा
माटे भावभीनुं आमंत्रण छे. जो के अमारा देशमां तमारो सत्कार कोई नहि करे, तो
पण तमने अमारा देशमां बहु जआनंद आवशे. अमारो देश मात्र ४प लाख योजन
विस्तारवाळो छे, परंतु अमारी वस्ती अनंती छे. अमारा देशमां कोई दुःखी नथी. अमे
अमारा देशमां जईए छीए, तमे वेला वेला आवजो.
तमे ओळख्यो अमारा देशने?
एनुं नाम छे सिद्धनगर!
(ए सिद्धनगरीमां जवानो मार्ग शुं छे? अने ते सिद्धनगरीनो वैभव केवो
अचिंत्य छे! तेनुं वर्णन कोईवार करीशुं.)
आ उपरांत बीजा पण अनेक कोलेजीयन बंधुओ आपणा बालविभागना
सभ्य छे, ने कोलेजना अभ्यास करतांय वधु उत्साहथी धर्ममां रस लईने आपणा
बालविभागने शोभावी रह्या छे.....तेमना तरफथी पण लेखो आवतां ते प्रगट करीशुं. (सं.)