Atmadharma magazine - Ank 272
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २४९२ आत्मधर्म : पप :
जयपुर:– जयपुरशहेर जैनोनुं प्राचीन गौरवभर्युं स्थान छे.....भारतनी आ
शुसोभित नगरी अनेक जिनालयोवडे वधु सुशोभित बनी छे. अहींना अनेक
विद्वानोए जैनशासनने शोभाव्युं छे ने धार्मिकसाहित्यमां खूब महत्वनो फाळो आप्यो
छे. महावीरजयंति वगेरे उत्सवो धामधूमथी उजवाय छे. आ वर्षे पू. गुरुदेवनी
जन्मजयंति पण उत्साहथी उजवाई हती जयपुर हवे फरीने विशेष जागृत थतुं जाय
छे....पूरणचंदजी गोदिका वगेरेना उत्साहथी अहींनुं मुमुक्षु मंडळ पण सारी प्रगति साधी
रह्युं छे; जयपुरना निडर अने मध्यस्थ विद्वान पं. श्री चैनसुखदासजी पण महत्वनो
सहकार आपी रह्या छे. पं. टोडरमल्लजी स्मारकभवनना उद्घाटन प्रसंगे पू.
कानजीस्वामी जयपुर पधारे तेनो लाभ लेवा जयपुरसमाजना हजारो जिज्ञासुओ
ईन्तेजारीपूर्वक राह जोई रह्या छे. (स्मारकभवननुं उद्घाटन आगामी वर्षे फागण
लगभगमां थवानो संभव छे.)
– जय जिनेन्द्र
राजकोटमां पंदर दिवस
सोनगढमां जन्मोत्सव उजवीने तरत (वैशाख सुद चोथे) पू. गुरुदेव राजकोट
पधार्या हता ने त्यां पंदर दिवस रह्या हता. पू. गुरुदेव पधारतां राजकोटना संघे
उत्साहपूर्वक स्वागत कर्युं हतुं. तथा समवसरण अने मानस्तंभनी प्रतिष्ठानो प्रथम
वार्षिक महोत्सव उजवायो हतो, ते दिवसे जिनेन्द्रदेवनी भव्य रथयात्रा नीकळी हती,
पंदर दिवस दरमियान श्री समयसारनी गाथा ६–७ ११ तथा १प उपर अने कळशटीका
निर्जरा अधिकार उपर अध्यात्मरसभीनां प्रवचनो थया हता. रात्रे तत्त्वचर्चामां पण
जिज्ञासुओ खूब रस लेता हता.
राजकोट पंदर दिवस रहीने पू. गुरुदेव वैशाख वद पांचमे सोनगढ पधार्या;
सवारना प्रवचनमां ईष्टोपदेश तथा बपोरना प्रवचनमां नियमसार वंचाय छे.
विद्यार्थीओनो शिक्षणवर्ग पण चाली रह्यो छे.
सोनगढमां वैशाख वद छठ्ठे समवसरणनी प्रतिष्ठानो वार्षिकदिवस तथा वद
आठमे स्वाध्यायमंदिरमां समयसार–प्रतिष्ठानो वार्षिक दिवस उजवायो हतो.
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