Atmadharma magazine - Ank 272
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: प४ : आत्मधर्म : जेठ : २४९२
जयपुर:– (खानियाजी) मां जिनमंदिरनी प्रतिष्ठानो मोटो पंचकल्याणक महोत्सव
गत मासमां थयो–जेमां आसपासना हजारो लोकोनी उपस्थिति हती. पंच कल्याणकना
द्रश्योमां ८०, ००० जेटला माणसोनी विराट सभा थती. जयपुरथी चार किलोमीटर दूर
खानियामां आवेला ७०० फुट ऊंची एक पहाडी पार्श्वनाथ चूलगिरि’ तरीके ओळखाय छे.
तेना पर २४ तीर्थंकरोना चरणकमलनी २४ दोरी तथा चार गणधरोना चरणपादूकानी ४ देरी
छे. प्रतिष्ठा महोत्सवनो मंडप १ लाख २० हजार चोरसफूट (एटले सोनगढना प्रवचनमंडप
करतां लगभग २प गणो, ने स्वाध्याय मंदिर करतां १०० गणो विशाळ हतो. प्रतिष्ठानी
वेदी ७०+७० फुट (एटले प्रवचन मंडप जेवडी) हती; यात्रिको माटे अढी हजार जेटला
तंबुओ हता. मंदिरमां मूळनायक पार्श्वनाथप्रभुनी प्रतिमा ७ फुट ऊंची छे. अने पहाडी उपर
बाहुबलीस्वामीनी ३प फुट जेवडी विशाळ भव्य प्रतिमा स्थापवानी योजना पण
विचाराधीन छे. पर्वत उपर जवा माटे ८०० पगथिया छे. सौधर्मेन्द्रनी बोलीना त्रीस हजार
ने रथना सारथीना बोलीना ११००० थया हता. जयपुरमां अने जयपुरनी आसपासमां
जैनोनी खूब वस्ती छे. ठेरठेर जैनोनी वस्ती जोतां भारतमां जैनोनी कूल वस्ती एक करोड
उपरान्त होवानो अंदाज छे.
केशरीयाजी:– राजस्थानमां आवेलुं केशरियाजीनुं प्राचीन ऋषभदेव–मन्दिर प्रसिद्ध
छे. आ मंदिरमां भगवान ऋषभदेवना प्रतिमाजी (१६ स्वप्न सहित) बिराजी रह्या छे.
हालमां, आ मंदिर ए जैनमंदिर छे ने हिन्दुमन्दिर नथीएवो महत्वनो चुकादो जोधपुर
हाईकोर्टना न्यायाधीशे आप्यो छे अने आ जैनमंदिरनी व्यवस्था जैनोद्वारा ज थाय एम
ठराव्युं छे. हवे जैनसमाजनी तरफेणमां आवेला आ चुकादाने शोभाववा माटे समस्त जैनो
प्रेमपूर्वक हळी–मळीने प्रभु ऋषभदेवना दर्शन–भक्तिनो लाभ ल्ये एम आपणे
ईच्छीए....अने श्वेतांबर–दिगंबर बंने समाज वच्चे ‘ताश्कंदकरार’ करतांय खूब उच्च
कोटिना एवा कोई ‘केशरीयाजी करार’ थाय ने बंने पक्ष निश्चिन्तपणे भगवान आदिनाथनी
आराधना करे....एम भावना भावीए छीए.
गुना:– (मध्य–प्रदेश) मां ता. ७जुनथी ता २१मीजुन सुधी अनेक विद्वानोना
सान्निध्यमां “जैनधर्म शिक्षणवर्ग” नुं आयोजन ‘मध्यप्रदेशीय’ दि. जैन मुमुक्षु मंडळ’ द्वारा
करवामां आव्युं छे. शिक्षणवर्गमां भाग लेवाना ईच्छुक जिज्ञासु भाईओए दश दिवस
अगाउ नीचेना सरनामे सूचना मोकलवी:–
डालचन्दजैन सराफ, सराफ बाजार, चौक; भौपाल [म. प्र]
दक्षिणदेशमां:– कुंदकुंदप्रभुना समाधिधाम कुन्दाद्रिनी नजीक आवेल हुमच नगरमां
ता. १४–१प मार्चना रोज संस्कृति संमेलन हतुं, ते प्रसंगे त्यां “कुंदकुंद–ब्रह्मचर्याश्रम” नुं
उद्घाटन थयुं हतुं.