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द्रश्योमां ८०, ००० जेटला माणसोनी विराट सभा थती. जयपुरथी चार किलोमीटर दूर
खानियामां आवेला ७०० फुट ऊंची एक पहाडी पार्श्वनाथ चूलगिरि’ तरीके ओळखाय छे.
तेना पर २४ तीर्थंकरोना चरणकमलनी २४ दोरी तथा चार गणधरोना चरणपादूकानी ४ देरी
छे. प्रतिष्ठा महोत्सवनो मंडप १ लाख २० हजार चोरसफूट (एटले सोनगढना प्रवचनमंडप
करतां लगभग २प गणो, ने स्वाध्याय मंदिर करतां १०० गणो विशाळ हतो. प्रतिष्ठानी
वेदी ७०+७० फुट (एटले प्रवचन मंडप जेवडी) हती; यात्रिको माटे अढी हजार जेटला
तंबुओ हता. मंदिरमां मूळनायक पार्श्वनाथप्रभुनी प्रतिमा ७ फुट ऊंची छे. अने पहाडी उपर
बाहुबलीस्वामीनी ३प फुट जेवडी विशाळ भव्य प्रतिमा स्थापवानी योजना पण
विचाराधीन छे. पर्वत उपर जवा माटे ८०० पगथिया छे. सौधर्मेन्द्रनी बोलीना त्रीस हजार
ने रथना सारथीना बोलीना ११००० थया हता. जयपुरमां अने जयपुरनी आसपासमां
जैनोनी खूब वस्ती छे. ठेरठेर जैनोनी वस्ती जोतां भारतमां जैनोनी कूल वस्ती एक करोड
उपरान्त होवानो अंदाज छे.
हालमां, आ मंदिर ए जैनमंदिर छे ने हिन्दुमन्दिर नथीएवो महत्वनो चुकादो जोधपुर
हाईकोर्टना न्यायाधीशे आप्यो छे अने आ जैनमंदिरनी व्यवस्था जैनोद्वारा ज थाय एम
ठराव्युं छे. हवे जैनसमाजनी तरफेणमां आवेला आ चुकादाने शोभाववा माटे समस्त जैनो
प्रेमपूर्वक हळी–मळीने प्रभु ऋषभदेवना दर्शन–भक्तिनो लाभ ल्ये एम आपणे
ईच्छीए....अने श्वेतांबर–दिगंबर बंने समाज वच्चे ‘ताश्कंदकरार’ करतांय खूब उच्च
कोटिना एवा कोई ‘केशरीयाजी करार’ थाय ने बंने पक्ष निश्चिन्तपणे भगवान आदिनाथनी
आराधना करे....एम भावना भावीए छीए.
करवामां आव्युं छे. शिक्षणवर्गमां भाग लेवाना ईच्छुक जिज्ञासु भाईओए दश दिवस
अगाउ नीचेना सरनामे सूचना मोकलवी:–
उद्घाटन थयुं हतुं.