वैराग्य समाचार:– सोनगढमां जेठ सुद पूर्णिमानी रात्रे भावनगरवाळा
प्रवचन–भक्ति वगेरे बधा कार्यक्रमोमां तो तेमणे भाग लीधो हतो, तथा साधर्मी बहेनो
हती....परंतु राते सूता पछी सवारे जाग्या नहि, वच्चे ज स्वर्गवास पामी गया. दूध
देनारे सवारे साद पाडयो ने जवाब न मळ्यो त्यारे तो एनी खबर पडी! जुओ, आ
जीवननी क्षणभंगुरताना खेल! सांजे सूतो ते सवारे जीवतो जागशे के केम तेनोय ज्यां
भरोसो नथी–त्यां प्रमादमां जीवननी एक क्षण पण वेडफी नांखवानुं मुमुक्षुने केम
पालवे? श्री चंदनबेन तत्त्वना जिज्ञासु हता तथा पू. गुरुदेव प्रत्ये तेमज पू.
बेनश्रीबेन प्रत्ये भक्तिनी घणी लागणी धरावता हता. छेल्ला त्रीसेक वर्षथी
सोनगढमां रहीने सत्संगनो लाभ लेता हता. सत्संगनी भावना अने भक्तिना बळे
आगळ वधीने तेओ आत्महित साधे एम ईच्छीए छीए.
रचित योगसार उपर प्रवचनो शरू थया छे. बपोरना प्रवचनमां नियमसार वंचाय छे.
सुद ७ नेमिनाथ–मोक्षकल्याणक (गीरनार)
वद १ वीरशासनप्रर्वतन (दिव्यध्वनि दिन) (राजगृही)
वद २ मुनिसुव्रत–गर्भकल्याणक (राजगृही)
वद १० कुंथुनाथ–गर्भकल्याणक (हस्तिनापुर)