Atmadharma magazine - Ank 273
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ४८ : आत्मधर्म : अषाढ : २४९२



वैराग्य समाचार:–
सोनगढमां जेठ सुद पूर्णिमानी रात्रे भावनगरवाळा
चंदनबेन (उ. वर्ष ७० लगभग) अकस्मात स्वर्गवास पामी गया. पुनमना दिवसे
प्रवचन–भक्ति वगेरे बधा कार्यक्रमोमां तो तेमणे भाग लीधो हतो, तथा साधर्मी बहेनो
साथे राते दस वाग्या सुधी तत्त्वचर्चा करी हती ने ज्ञान–वैराग्यनी भावनाओ भावी
हती....परंतु राते सूता पछी सवारे जाग्या नहि, वच्चे ज स्वर्गवास पामी गया. दूध
देनारे सवारे साद पाडयो ने जवाब न मळ्‌यो त्यारे तो एनी खबर पडी! जुओ, आ
जीवननी क्षणभंगुरताना खेल! सांजे सूतो ते सवारे जीवतो जागशे के केम तेनोय ज्यां
भरोसो नथी–त्यां प्रमादमां जीवननी एक क्षण पण वेडफी नांखवानुं मुमुक्षुने केम
पालवे? श्री चंदनबेन तत्त्वना जिज्ञासु हता तथा पू. गुरुदेव प्रत्ये तेमज पू.
बेनश्रीबेन प्रत्ये भक्तिनी घणी लागणी धरावता हता. छेल्ला त्रीसेक वर्षथी
सोनगढमां रहीने सत्संगनो लाभ लेता हता. सत्संगनी भावना अने भक्तिना बळे
आगळ वधीने तेओ आत्महित साधे एम ईच्छीए छीए.
जेठ सुद पूनमे शेठश्री चीमनलाल हिंमतलालना घरनुं वास्तु हतुं, तथा जेठ वद
त्रीजे भाईश्री चीमनलाल ठाकरशी मोदी (अने भाईओ) ना घरनुं वास्तु थयुं हतुं.
सवारना प्रवचनमां पूज्यपाद स्वामी रचित ईष्टोपदेश वंचातुं हतुं ते जेठ वद
बीजना रोज (प६ प्रवचनद्वारा) समाप्त थयुं छे. ने जेठ वद त्रीजथी योगीन्दुदेव
रचित योगसार उपर प्रवचनो शरू थया छे. बपोरना प्रवचनमां नियमसार वंचाय छे.
अषाड मासना मंगल दिवसो
(पूजासंग्रहना आधारे)
सुद ६ वर्धमान–गर्भकल्याणक (वैशाली–कुंडग्राम)
सुद ७ नेमिनाथ–मोक्षकल्याणक (गीरनार)
वद १ वीरशासनप्रर्वतन (दिव्यध्वनि दिन) (राजगृही)
वद २ मुनिसुव्रत–गर्भकल्याणक (राजगृही)
वद १० कुंथुनाथ–गर्भकल्याणक (हस्तिनापुर)
(श्रावणमासनो शिक्षणवर्ग बीजा श्रावणमां राखवामां आवशे.)