आत्मधर्मना बालविभागद्वारा हजारो बाळकोमां नानपणथी जे धर्मसंस्कारना
मांडीने मोक्ष सुधीनां मधुरा फळ आपशे. आवी उत्तम भावनाना प्रतीक तरीके आ
आम्रवृक्ष पसंद कर्युं छे. मने खातरी छे के आ आंबानी केरी बधाय बाळकोने खूब ज
भावशे. आनंदथी खाव.
Atmadharma magazine - Ank 273a
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).
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