Atmadharma magazine - Ank 274
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: द्वि. श्रावण : २४९२ आत्मधर्म : ३५ :

बालविभागना त्रीजा प्रश्न तरीके गया अंकमां पांच आचार्य–मुनिराजनां नाम,
तथा तेमणे दरेके रचेला एकेक शास्त्रनां नाम पूछया हता, तेना जवाबमां जुदा जुदा
बाळकोए जुदा जुदा नामो लखेला छे, एटले अमारी पासे तो घणाय आचार्य–
मुनिराजो तथा घणाय शास्त्रोनां नाम भेगा थया छे. ते बधा अहीं आपीए छीए. आ
वांचता ख्याल आवशे के अहो! आपणा धर्ममां केवा केवा मोटा मोटा महात्माओ थया,
तथा तेमणे केवा केवा महान शास्त्रो रच्यां! जेम आपणे आपणा कुटुंब–परिवारने अने
सगांवहालांने ओळखीए छीए तेम धर्ममां आपणा खरा कुटुंब–परिवार ने खरा
सगांवहालां तो तीर्थंकरो–मुनिवरो ने धर्मात्माओ छे, तेमने ओळखीने आपणे अत्यंत
प्रेमपूर्वक तेमनुं आत्मिक जीवन जाणवुं जोईए. अहीं केटलाक नामो आप्यां छे:–
कुंदकुंदाचार्य:– समयसार, प्रवचनसार;
पंचास्तिकाय, नियमसार, अष्टपाहुड वगेरे
(तथा षट्खंडागमनी परिकर्म–टीका)
धरसेनआचार्य:– (षट्खंडागम
शिखव्या)
पुष्पदंतआचार्य:............षट्खंडागम
भूतबलिआचार्य: षट्खंडागम
गुणधरआचार्य: कषायप्राभृत
उमास्वामी:– तत्त्वार्थसूत्र (मोक्षशास्त्र)
यतिवृषभ–आचार्य: त्रिलोकप्रज्ञप्ति;
कषायप्राभृतनी टीका
वीरसेनस्वामी: धवल–जयधवल टीका
जिनसेनस्वामी महापुराण: (तथा
जयधवल टीकानो बाकीनो भाग)
नेमिचंद्र सिद्धांतचक्रवर्ती: गोमट्टसार,
द्रव्यसंग्रह त्रिलोकसार, लब्धिसार,
क्षपणासार.
योगीन्दुदेव: परमात्मप्रकाश, योगसार.
,
पुरुषार्थसिद्धि उपाय; तथा समयसार–
प्रवचनसार पंचास्तिकायनी टीका.
समन्तभद्रस्वामी: आप्तमीमांसा;
रत्नकरंडश्रावकाचार; स्वयंभू–महास्तोत्र
स्तुतिविद्या, वगेरे.
शिवकोटिआचार्य: भगवती आराधना.
कार्तिकेयमुनिराज: बारस्स अनुप्रेक्षा
पद्मनंदीमुनिराज : पद्मनंदीपच्चीसी
गुणभद्रस्वामी: आत्मानुशासन (तथा
महापुराणनो बाकीनो भाग)
पूज्यपादस्वामी: मोक्षशास्त्र उपर
सर्वार्थसिद्धि टीका; ईष्टोपदेश, समाधिशतक;
जैनेन्द्रव्याकरण.
अकलंकस्वामी: मोक्षशास्त्र उपर
राजवार्तिक टीका; अष्टशती
(आप्तमीमांसानी टीका) न्यायविनिश्चय,
लधीयस्त्रय, सिद्धिविनिश्चय,