हा, कोई साधकने सम्यग्ज्ञान अने राग बंने साथे होय छे; परंतु बंने साथे होवा
मोक्षनुं कारण छे ने राग तो बंधनुं कारण छे,–एम ते ज काळे बंनेनी अत्यंत जुदाई छे.
सम्यग्द्रष्टिनो कोई तफावत नथी, अर्थात् राग सम्यग्द्रष्टिने हो के मिथ्याद्रष्टिने हो, जे
कोई जीवने जेटलो राग छे ते बंधनुं ज कारण छे, मोक्षनुं नहीं. ज्ञानीने जे ज्ञानभाव छे
ते मोक्षनुं कारण छे. ज्ञानीने पण ज्ञान ने राग ए बंने कांई मोक्षनुं कारण नथी, तेने
पण मोक्षनुं कारण तो एक ज्ञान ज छे, ने राग तो बंधनुं ज कारण छे, ए नियम छे.
एटलुं खरुं के अज्ञानी करतां ज्ञानीनो राग अनंतो अल्प छे, तेथी तेने बंधन पण
अनंतु ओछुं छे, ने निर्जरा घणी छे, ते निर्जरा शुद्धज्ञानना बळे थाय छे. आथी
शुद्धज्ञान छे ते पूज्य छे, आदरणीय छे; अने शुभरागादि जे अशुद्ध भावो छे ते हेय छे,