Atmadharma magazine - Ank 275
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: भादरवो : २४९२ आत्मधर्म : ३९ :
* आवता वर्षमां जयपुरमां पं. श्री टोडरमल्लजीनी द्विशताब्दिनो समारोह थशे.
श्रीमान पंडितजी जयपुरमां थया, अने मोक्षमार्गप्रकाशक वगेरेनी रचना पण
तेमणे जयपुरना जिनमंदिरमां करी हती.
* सौराष्ट्रना संत श्रीमद् राजचंद्रजी ववाणीया गाममां सं. १९२४ना कारतक सुद
पुनमे जन्म्या हता. आवती सालना कारतक सुद पुनमे तेमने एक सोमुं वर्ष
बेसशे; ने १९२४ ना कारतक सुद पुनमे सो वर्ष पूरा थशे. ते प्रसंगे श्रीमद्
राजचंद्रशताब्दि महोत्सव उजववानुं आयोजन (अमदावाद वगेरेमां) चाली
रह्युं छे.
* श्री भारतवर्षीय दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमिटिनी प्रबंधकारिणी कमिटिना एंक सदस्य
सम्मेदशिखर प्रकरणना सुखद अंत बाबत हर्ष व्यक्त करीने जणावे छे के, ३०–
४० वर्ष पहेलां पण आवी घटना बनी हती, ने ते वखते आपणा तीर्थंक्षेत्रनी
रक्षाना महान कार्यकर्ता सर शेठ हुकमीचंदजी वगेरेए तीर्थक्षेत्र कमिटिने मजबूत
बनाववा माटे दि० जैनोना प्रत्येक घरदीठ वार्षिक एक रूपियो तीर्थरक्षा–फंडमां
अपाय एवी योजना बनावी हती.
जो ते योजना त्यारथी व्यवस्थित चालु रही होत तो लाखो दि० जैनना
घरोमांथी अत्यारसुधीमां केटलाय लाख रूपिया एकठा थया होत! आजे आ
योजनानी खास आवश्यकता छे, ने तीर्थं प्रत्ये भक्तिपूर्वक आटलो सहयोग
आपवा घरघरना जैनो खुशी छे. तो आ योजना विचारीने तेनो अमल
करवानुं अने तेमां आळस न करवानुं कमिटिना सभ्य सूचवे छे. आथी आपणा
पूज्य तीर्थोनी संभाळ करनारी तीर्थक्षेत्र कमिटिना हाथ मजबूत बनशे अने
समाजना उत्साहभर्या सहकारथी तेनुं कार्य सरळ बनशे......आपणा तीर्थोनी
उन्नति थशे (
जैन सन्देश ना आधारे)
आत्मधर्मनुं नवा वर्षनुं लवाजम त्रण
रूपिया वेलासर मोकलीने व्यवस्थामां सहकार आपो
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ: सौराष्ट्र