Atmadharma magazine - Ank 275a
(Year 23 - Vir Nirvana Samvat 2492, A.D. 1966)
(Devanagari transliteration).

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: ४० : आत्म धर्म : आसो : २४९२
* श्रवणबेलगोलमां ईन्द्रगिरि उपर स्थित बाहुबली भगवाननो
महामस्तकाभिषेक जे ता. १–१–६७ ना रोज थवानुं अगाउ जाहेर थयुं हतुंं, तेने बदले
ता. ३० मार्च १९६७ ने फागण वद पांचमना रोज ते महाअभिषेक करवानुं नक्की थयुं
छे.
* सम्मेदशिखरजी वगेरे पूज्य तीर्थो प्रत्येनी भक्तिथी प्रेराईने तीर्थरक्षाफंडनी
योजना अनुसार व्यक्तिदीठ अगर घरदीठ केटलीक रकम आवेली ते तीर्थरक्षाकमिटिने
(हीराबाग मुंबई) मोकली आपवामां आवी छे. रकम मोकलनार सौने धन्यवाद!
(आ योजना अनुसार आपणा पूज्य तीर्थोनी सेवा अने रक्षा माटे घरदीठ एक रूपियो
अगर व्यक्तिदीठ एक रूपियो दर वर्षे मोकलवानो होय छे:– (सरनामुं: मेनेजर, भारत
वर्षीय दि. जैन तीर्थक्षेत्र कमिटि, गीरगांव, हीराबाग, मुंबई: ४)
* दिल्हीना मुमुक्षुभाईओ विनंती करवा आवेला, ने चार दिवसनी स्वीकृति
आपेल छे.
ताजा समाचार:
आ छेल्ला पानामां आठ दश लाईन खाली हती, तेमां शुं छापवुं ते विचारतो
हतो; त्यां तो वहेली सवारमां गुरुदेवना सुंदर मजाना शांतिप्रेरक उद्गार मळ्‌या–
“प्रभु! अनंत शांतिनुं धाम तुं पोते ज छो,
पछी बीजा अंर्तजल्प के बर्हिजल्प
करवानी वृत्तिनुं शुं काम छे? बहार जती
वृत्तिने छोडीने, एक अनंत शांतिमय धाम
प्रभु आत्मामां छे, एमां ज तुं लयलीन
था...एनी ज प्रीति करीने एमां ज रम.”
जयजिनेन्द्र