Atmadharma magazine - Ank 279
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ३४ : आत्मधर्म : पोष : २४९३
गतांकना प्रश्नोना जवाब
(१) जीव अने शरीर ए बेमां शुं फेर? जीव चेतन छे, शरीर अचेतन छे; जीवमां ज्ञान छे;
शरीरमां ज्ञान नथी. जीव बधाने जाणे छे; शरीर कांई जाणतुं नथी.
(२) शरीरनी क्रिया जीव छे के अजीव? शरीरनी क्रिया अजीव छे; केमके शरीर पण अजीवनुं
बनेलुं छे. अजीवनी क्रिया अजीव होय.
(३) जीवनो धर्म जीवनी क्रिया वडे थाय के अजीवनी क्रिया वडे? जीवनो धर्म जीवनी क्रियावडे
थाय, अजीवनी क्रियावडे जीवनो धर्म न थाय.
आ प्रमाणे जीव अने अजीवनी भिन्नता समजीने भेदज्ञान करवुं –ते दरेक जीवने
खास जरूरी छे.
(४) जयपुरमां २०० वर्ष पहेलां पं. टोडरमलजी नामना एक महान विद्वान थया; तेमणे रचेलुं
मोक्षमार्गप्रकाशक शास्त्र खुब प्रसिद्ध छे. ए उपरांत गोम्मटसार जेवा महान शास्त्रोनी
पण तेमणे हिंदी टीका करी छे. तेमना द्विशतादि–उत्सव प्रसंगे गुरुदेव जयपुर पधारी रह्या छे.
(नवा प्रश्नो आ वखते पूछया नथी.)
जवाब मोकलनार सभ्योना नंबर
८८४ ८८प १०४७ ८८३ २९६ ११६प ११६६ ११७२ ९०९ १६९३ ४९ ४३१ ४३२ ८२
२४६ २प३ १२४७ १प९९ १३प ११ २७७ ३२० १४०२ २३० १६७२ १४०९ २७२ १३८६ ७२९
३६प ३९३ १३३३ ८० २७८ ९८४ १९० ३७२ ८१ प१४ १२२८ १२२९ १२३प ७७८ १७९
१प७प प४२ १प६प ७३३ ७३प ९७९ ३४७ ४६७ ३८प ११७८ ११७९ १३३२ ३२३ २९७ प१३
१३३३ १३३४ ३९२ २९२ १६६ १६११ ४प १४३ प६ १११६ १४८१ ६६६ ६६७ १३४२ ८८०
१२९ ३७३ १६४८ ७४० प३३ प३४ १३२२ ४० २१८ ६६ ३२प ८०९ १३०७ ११७ ४४प १००८
१६२४ १६२प ३७९ ३१ ११प ३३३ ३३४ ३३प ३३६ १६९८ ११२ १६४२ १६४० १६४१
१६४३ १६३९ ३० २८ २६ ११३ १६६१ ६८ ३७८ ४६६ १प८८ १६९३ ११७३ १६९४ १६९प
१६९६ १६९७ १६३९ १६४० १६४१ १६४२ १६४३ २१प
“भरवाडमांथी भगवान” (कुंदकुंदस्वामीनुं जीवन) –तेनो चोथो लेख आ अंके
स्थळसंकोचने कारणे आपी शकायो नथी. तेमज वांचको साथे वातचीत (तत्त्वचर्चा) नो विभाग
पण आपी शकायो नथी.