पहेलां ज करवुं जोईए. भले समजावतां वच्चे भेदथी कह्युं के ‘ज्ञान–दर्शन–
चारित्रस्वरूप आत्मा छे’ – पण त्यां कांई गुण–गुणीनो भेद अनुसरवा जेवो नथी पण
अभेद आत्मस्वभाव लक्षमां लेवानो छे. उपदेशकने पण ए स्वभाव बताववानो ज
आशय छे, ने श्रोताए पण तेनुं ज लक्ष राखीने श्रवण करवुं. –आ रीते जे परमार्थने
न समजे ने एकला भेदरूप व्यवहारने ज परमार्थ समजीने तेमां (विकल्पमां) अटकी
जाय तो ते साचो श्रोता नथी, उपदेशनुं परमार्थ रहस्य ते समज्यो नथी.
उपाय छे, एटले ते ज एक मोक्षमार्ग छे; बीजो कोई मार्ग नथी, बीजो कोई सिद्धिनो
उपाय नथी, – सर्वथा नथी; एटले शुभराग जराक तो मोक्षनुं साधन थतो हशे ने? तो
कहे छे के ना, ते मोक्षनुं साधन सर्वथा नथी, जरापण नथी. शुद्ध स्वभावने अवलंबीने
जे रागवगरना निश्चय सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्र ते ज सर्वथा पुरुषार्थसिद्धिनो उपाय
छे, सर्वथा एटले ते एक ज मोक्षनो उपाय छे.
चंदुलाल फूलचंद स्वर्गवास पाम्या छे.
कामदार स्वर्गवास पाम्या छे.