Atmadharma magazine - Ank 280
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967).

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श्री महावीराय नमः।।
आचार्य कल्प पं
टोडरमलजी
स्मारक भवन का उद्घाटन,
वेदी प्रतिष्ठा महोत्सव तथा
द्विशताब्दि समारोह
दि० ६ मार्च से १६ मार्च १६६७ तक
आचार्य कल्प पं० टोडरमलजी महान् विद्वान एवं सुधारक थे, उन्होंने
अपने अल्प जीवनकाल में ही अनेक उच्चकोटि के मोक्षमार्ग प्रकाशक जैसे
अनुपम ग्रन्थों की रचना एवं गोमट्टसार जैसे महान् कठिन ग्रन्थों की अर्थ
संद्रष्टि सहित अत्यन्त सरल भाषा में टीका तैयार करके धर्म, समाज एवं
जिनवाणी माता की अपूर्व सेवा की थी।
यह जयपुर नगरी बहुत सौभाग्यशाली है, जहां पर ऐसे २ अनेकों मोक्ष
मार्गी महापुरुषों ने जन्म लेकर जिनवाणी की सतत साधना के द्वारा स्व–
परकल्याण कर इस नगरी को पवित्र किया। महापुरुष आचार्य कल्प पं०
टोडरमलजी ने उसी साधना की रक्षा के लिए अपने आपको इसी भूमि पर
बलिदान कर दिया। उनके स्वर्गवास को २०० वर्ष पूर्ण हो रहे हैं। अतः हम सब
का कर्तव्य हैं कि उनके उपकार की स्मृति को ताजा करने के लिये एवं उनके
बताये हुये मार्ग पर प्रवृत्ति करने के लिये उनके बलिदान को द्विशताब्दि समारोह
के रूप में सारे भारतवर्ष में विशेष विशेष आयोजनों के साथ निम्न प्रकार से
अखिल भारतीय स्तर पर मनाया जावे।
इस सम्बन्ध में श्री दि० जैन मुमुक्षु मंडल जयपुर की मीटिंग में निम्न
निर्णय लिये गये है। अतः समस्त जैन समाज से निवेदन है कि कार्य–क्रमों में
पूर्ण उत्साह से भाग लेकर सभी कार्यक्रमों को सकल बनावें।
. जैनाजैन पत्रों में प्रचार कर द्विशताब्दि समारोह मनाने के लिये समाज मे जागृत्ति उत्पन्न की जावे।
. दिनांक १३ मार्च ६७ को प्रत्येक स्थान पर विशाल रूप से सभाओं का आयोजन करके पं०
टोडरमलजी के व्यक्तित्व एवं गुणों पर विस्तृत प्रकाश डाल कर सर्वसाधारण को इस सम्बन्ध में
अवगत कराया जावे।
. द्विशताब्दि समारोह के अवसर पर पंडित जी साहब के सम्बन्ध में व उनके साहित्य के सम्बन्ध में
परिचयात्मक लेख व श्रद्धांजलिर्यां आदि संग्रह कर उनके प्रकाशन की व्यवस्था की जावे, अतः मार्च
में पं० टोडरमलजी जयन्ती स्मारिका जयपुर में प्रकाशित की जा रही है।
. उक्त अवसर पर श्री टोडरमलजी साहब की रचनाओं का एव अन्य सत् साहित्य का प्रकाशन किया
जावे।
. अपने आत्म कल्याण के हेतु जैन शास्त्रों के अध्ययन व मनन की रुचि जागृत की जावे।