Atmadharma magazine - Ank 280
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 18 of 47

background image
: माह : २४९३ आत्मधर्म : १प :
बधा मनुष्यो अने देवोनुं जेटलुं बळ थाय तेना करतां अनेकगणुं वधारे बळ ते
चक्रवर्तीनी भूजाओमां हतुं. तेनो आकार अने स्वभाव बंने सुंदर हता. ते एक दिव्य
मनुष्य हतो ने तेनी चेष्टाओ अद्भुत हती. विशिष्ट पुण्यने लीधे तेने आवी लोकोत्तर
संपदा मळी हती.
जेमने अरिहन्तपदनी लक्ष्मी प्राप्त थवानी छे एवा भगवान ऋषभदेव,
भरतना आनंदकारी मुखने देखता हता; ने ज्यारे मधुर वचनसहित प्रणाम करीने ते
बेठो थाय त्यारे वारंवार आलिंगन करीने तेने पोतानी गोदमां बेसाडता हता.
पूर्वभवना बीजा साथीदारो पण सर्वार्थसिद्धिमांथी भगवान ऋषभदेवना पुत्र
तरीके यशस्वतीनी कुंखे अवतर्या. जे भगवाननी वज्रजंघपर्यायमां अकंपनसेनापति
हतो ने वज्रनाभिपर्यायमां पीठ नामनो भाई हतो ते वृषभसेन नामनो पुत्र थयो.
जे धनमित्रशेठ तथा महापीठ नामनो भाई हतो ते अनंतविजय नामनो पुत्र
थयो.
सिंहनो जीव जे पूर्वे विजय नामनो भाई हतो ते अनंतवीर्य नामनो पुत्र थयो.
भूंडनो जीव जे पूर्वे वैजयन्त नामनो भाई हतो ते अच्युत नामनो पुत्र थयो.
वांदरानो जीव जे पूर्वे जयन्त नामनो भाई हतो ते वीर नामनो पुत्र थयो.
नोळियानो जीव जे पूर्व भवमां अपराजित नामनो भाई हतो ते वरवीर
नामनो पुत्र थयो.
ते उपरांत ब्राह्मी नामनी एक पुत्री थई.
आनंदपुरोहितनो जीव जे पूर्व भवमां महाबाहु नामनो भाई हतो ते
सर्वार्थसिद्धिमांथी च्यवीने सुनन्दाराणीनी कुंखे बाहुबली नामनो पुत्र थयो; तथा
वज्रजंघपर्याय वखते जे अनुंधरी नामनी बहेन हती ते अहीं सुंदरी नामनी सुंदर पुत्री
थई.
ए प्रमाणे भगवान ऋषभदेवने कुल १०१ पुत्रो थया. ते बधाय प्रतापी अने
चरमशरीरी हता. भगवान ऋषभदेव प्रथम तीर्थंकर हता, तो तेमना प्रतापी पुत्रोमां
भरत प्रथम चक्रवर्ती, बाहुबली प्रथम कामदेव अने वृषभसेन प्रथम गणधर हता.
अहा! केवो महान परिवार!