Atmadharma magazine - Ank 280
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ३८ : आत्मधर्म : माह : २४९३
संपादकनो पत्र
प्रिय बालबंधुओ, हाल पू. गुरुदेव साथे मंगल–प्रवासमां होवाथी जोके तमने
नवा प्रश्नोत्तर वगेरे आपी शकातुं नथी, तेमज तमारा पत्रोना जवाब पण आपी
शकाता नथी, परंतु दरेकेदरेक गामे आपणा बालविभागना कोई ने कोई सभ्यो जरूर
मळे छे ने घणो ज आनंद व्यक्त करे छे, तथा बालविभागना बधा सभ्योने पण
प्रेमथी याद करे छे. बालविभागना आपणा बंधुओने देखीने तथा धर्म प्रत्येनी आवी
लागणी देखीने प्रसन्नता थती हती. तमने जाणीने आनंद थशे के आंकडियाना
पंचकल्याणकमां भगवाननी दीक्षा वखते, आपणा बालविभागना बाळको लौकांतिक
देव बन्या हता. गामेगाम बालविभागना कोईने कोई सभ्यो मळे छे, तेमने देखीने
आनंद थाय छे. तमारा गाममांय गुरुदेव पधारे त्यारे होंशथी लाभ लेजो. बंधुओ,
जीवनमां नानपणथी ज धर्मना ऊंचा संस्कार रेडाय–ए खूब ज लाभकारी छे.
बाळकोमां धर्मना संस्कार रेडाय ते माटेनी खास भावनाथी ठेठ राजस्थानमां जयपुर
पासे रामगढना एक जैनविद्यालये बधा बालसभ्योने एक भेट पुस्तक आपेल छे; ते
अनुसार भगवान ऋषभदेवनुं दश भवनुं उत्तम जीवनचरित्र बधा बालसभ्योने
आपवानुं छे. कदाच ते तमने मळी पण गयुं हशे; –नहितर थोडा ज दिवसमां मळी
जशे. तमे उत्साहथी वांचजो ने ए प्रभुना पवित्र जीवननुं अनुकरण करजो. हमणां
प्रवासमां होवाने कारणे बालविभागनी व्यवस्थामां जरा ओछुं ध्यान आपी शकाय छे;
तेथी केटलाक सभ्योने जन्मदिवसनुं कार्ड तथा फोटो नथी मळ्‌या; बंधुओ, बालविभाग
शरू थया पछी जे सभ्योनो जन्मदिवस आवी गयो होय, ने हजी सुधी एक्केयवार
तमने फोटो के कार्ड न मळ्‌युं होय तो तमारा सभ्य नंबर अने जन्मदिवस सहित अमने
लखशो; एटले वैशाख सुद बीज सुधीमां तमने जरूर भेट मळी जशे. तमे आनंदथी ने
तो
तमने याद हशे ज! कोई भूली गया छो के? –तो फरी याद करीए– एक हंमेशा
रस लेवो. धर्मनुं सारूं सारूं वांचन करवुं. हिंमतनगरमां मोटो उत्सव थई रह्यो छे, तेना
समाचार लईने आवता महिने मळीशुं. पत्रव्यवहार सोनगढना ज सरनामे करशो.
जयजिनेन्द्र (–तमारो भाई.)