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नथी, एटले धर्मक्रियाने ओळखतो नथी. शुभराग मने धर्मनुं साधन थशे –एम
माननार पण रागक्रियाने ज पोतानी माने छे, एटले ते रागने ज सेवे छे, पण ज्ञानने
सेवतो नथी. तेने संतो समजावे छे के भाई! तारी तो ज्ञानक्रिया छे, ने राग तो जुदी
जात छे. –एम भिन्नता समजीने रागनुं कर्तृत्व छोड ने ज्ञानक्रियाने जाण. ज्ञानक्रिया ज
मोक्षनुं कारण छे.
माटे छोडे त्यां छूटकाराना उल्लासथी कुदाकुद करे छे. तो तुं अनादिकाळनो संसारबंधनथी
दुःखी, –तो हवे तारुं अज्ञान केम मटे, ने दुःख टळीने मोक्षसुख केम मळे ते माटेनी आ
ज्ञानक्रिया सन्तो तने समजावे छे, तो छूटकारानो आ उपाय सांभळतां कया मुमुक्षुने
उल्लास न जागे?
विनंति छे. जो आप चेक अथवा ड्राफटथी रूा. मोकलो तो खीमचंद जेठालाल शेठ एन्ड
अधर्स ना नामथी मोकलशो.
श्री दिगम्बर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र)