: ४० : आत्मधर्म : फागण : २४९३
मोक्ष पाम्या ने जगतने पण केवो मार्ग उपदेश्यो–ते वात समजावी हती. तथा मोक्षमार्ग
प्रकाशकमांथी बे नयोनुं स्वरूप, बे नयोना अर्थ समजवानी रीत, अने यथार्थ
वस्तुस्वरूप कई रीते समजवुं–ते संबंधी विवेचन कर्युं हतुं. प्रवचन पछी श्री
जिनेन्द्रभगवाननी भक्ति पण त्यां स्मारकभवनमां ज थई हती. त्यारपछी
स्मारकभवनना चैत्यालयमां भगवान सीमंधरप्रभुनी प्रतिष्ठा थई हती. अहा,
प्रभुजीनी प्रतिष्ठा प्रसंगे शेठ पूरणचंदजी गोदिका अने तेमनो परिवार, तथा जयपुरना
मुमुक्षुओ तेम ज सौराष्ट्र–गुजरातना मुमुक्षुओ हर्षोल्लासथी नाची ऊठ्या हता.
गुरुदेवना सुहस्ते सीमंधरनाथनी प्रतिष्ठा देखीने शेठ पूरणचंदजी तो हाथमां चामर
लईने उल्लासथी नाची ऊठ्या हता. प्रभुजीनी प्रतिष्ठा शेठ गोदिकाजीए तथा तेमना
सुपुत्रोए करी हती. आ समस्त उत्सवनुं खर्च, तेमज स्मारकभवननुं बधुं खर्च श्री
गोदिका परिवार तरफथी (–एकला तरफथी) करवामां आव्युं हतुं. तेमनी आटली
उदारता तथा आवी नम्रता, धार्मिक प्रेम ने उत्साह–ते प्रशंसनीय छे; गुरुदेव पण तेनी
प्रशंसा करता हता. अहा, अमारा आंगणे सीमंधरनाथ भगवान पधार्या–एवा
अंतरंग उमंगथी सीमंधरभगवाननी प्रतिष्ठा थई. प्रतिष्ठा वखतनो हजारो भक्तोनो
हर्षोल्लास हैयामां समातो न हतो. प्रभुजीनी प्रतिष्ठा पछी कलश तथा ध्वजारोहण थयुं,
तथा जिनवाणीमाता समयसारनी पण स्थापना गुरुदेवना सुहस्ते थई; पछी आ ज
दिवसे बपोरे गोदिकाजीना शहेरना चैत्यालयमां पण जिनेन्द्रभगवाननी प्रतिष्ठा थई.
बपोरनुं प्रवचन तथा भक्ति स्मारकभवनमां थया हता.
ते सर्वे जिनेन्द्रोने तथा जिनवाणीमाताने नमस्कार!
श्री पंडित टोडरमलजी–स्मारकभवन १०प×६प फूटनुं घणुं विशाळ, वच्चे
थांभला वगरनुं छे. भवननी बंने बाजु उपर–नीचे ३४ कमरा छे. नीचेना एक
कमरामां सीमंधरस्वामीनुं चैत्यालय छे. आधुनिक सुविधा सहित स्मारकभवन
सुशोभित बन्युं छे, ने दीवालो उपर ऐतिहासिक चित्रो शोभे छे.
पं. श्री टोडरमलजीने बसो वर्ष पूर्ण थता होवाथी टोडरमलजी–द्विशताब्दि
महोत्सव पण उजववामां आव्यो हतो. ते द्विशताब्दि महोत्सवनुं उद्घाटन पण आजे
रात्रे थयुं हतुं.
मंगलमय मंगलकरण वीतरागविज्ञान।
नमों ताहि जातें भये अरहन्तादि महान।।