झरमर छांटणां पडवा लाग्या. कुदरतना वातावरणनो आवो आश्चर्यकारी मेळ जोईने
सौने विशेष आनंद थयो...ने जिनेन्द्रदेवना तथा कहानगुरुना जयजयकारवडे
जयपुरनगरी गुंजी ऊठी.
बोलीये श्री कहानगुरुदेवकी जय हो.
बोलीये महाप्रतापी जैनधर्मकी जय हो.
कहानगुरुना प्रतापे जैनधर्मनी जाहोजलाली जयपुरमां आजे फरीथी खीली
महान हर्षोल्लासपूर्वक मंगलउत्सव पूर्ण थयो. जयपुरना आंगणे आवो महान उत्सव
उजववा माटे धर्मप्रेमी उदार अने नम्र श्रीमान शेठश्री पूरणचंदजी गोदिकाजीने शतश:
धन्यवाद! तेमने माटे ए गौरवनी वात छे के श्रीमान पं. टोडरमलजी तेमना गोदिका
परिवारमां ज थया हता.
वगेरे ए कर्यो हतो; ने उत्सवनी खुशालीमां तेओ प्रभुजी सन्मुख खूब आनंदथी नाची
ऊठ्या हता. पछी गोदिकाजीए पू. गुरुदेवना सुहस्ते चंद्रप्रभ जिनेन्द्रदेवना प्रतिमाजीने
मंडपमांथी वेदी उपर बिराजमान कराव्या हता.
श्री चैनसुखदासजीए कह्युं के स्वामीजी द्वारा महान पवित्र नदीनो प्रवाह वही रह्यो छे.
तेमना द्वारा जे धर्मप्रभावना थई रही छे ते रोकावानी नथी; तेमां स्नान करनारा जीवो
पवित्र थई जशे. स्वामीजी द्वारा वास्तविक जैनधर्मनी हजी पण विशेष प्रभावना थईने
फरीने भगवान महावीर जेवो समय आवी जाय! –जैनधर्मनुं वास्तविक स्वरूप तेओ
जगत सामे राखे छे. पूर्व–आचार्योए जे वात करी ते ज स्वामीजीनी वाणीमां आवे छे.
–आ रीते पं. चैनसुखदासजीए गुरुदेव प्रत्ये हृदयना सुंदर भावो व्यक्त कर्या हता. आ
उपरांत पं. श्री बंसीधरजीए पण भावभीनी