Atmadharma magazine - Ank 281
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: फागण : २४९३ आत्मधर्म : ३ :
गुरुदेवनी साथे साथे
(हिंमतनगरमां पंचकल्याणक–महोत्सव)
आत्मधर्मना गतांकमां सोनगढथी राणपुर सुधीना समाचार आपी गया छीए.
राणपुरथी अमदावाद थईने माह सुद ४ ना रोज गुरुदेव हिंमतनगर पधारतां हजारो
मुमुक्षुओए उमंगभर्युं स्वागत कर्युं. बे हाथी सहितनुं आवुं उल्लासभर्युं भव्य स्वागत
जोईने आखी नगरी आश्चर्य पामती हती. स्वागत सरघस महावीरनगरना
प्रतिष्ठामंडपमां आव्युं, ने त्यां पांचेक हजार माणसोनी सभामां गुरुदेवे सिद्ध
भगवंतोने निमंत्रीने अपूर्व मांगळिक कर्युं. (जे आ अंकमां आप्युं छे.)
महावीरनगर–प्रतिष्ठामंडप खूब ज शोभतो हतो. बाजुमां सवालाख उपरांतना
खर्चे बंधायेलुं विशाळ जिनमंदिर छे. अहीं जैनभाईओनी सोसायटी बंधातां तेमने
एवी भावना थई के आपणा मकानोनी साथे साथे भगवानना दर्शन–पूजन माटे एक
जिनमंदिर पण बंधाववुं जोईए. ते अनुसार तेमणे सोसायटीनी जमीन साथे
जिनमंदिर माटेनी जमीननी पण मांगणी करी. हिंमतनगरना राजवीए तेमनी
भावनामां साथ आपीने जिनमंदिर माटेनो प्लोट भेट तरीके आप्यो. ने तेमां
मुमुक्षुओए उत्साहपूर्वक भव्य जिनमंदिर बंधाव्युं. –तेमां पंचकल्याणक–प्रतिष्ठामहोत्सव
प्रसंगे पू. गुरुदेव हिंमतनगर पधार्या.
प्रतिष्ठा–महोत्सवना प्रारंभमां शांतिजाप, मंडपमां प्रभुने बिराजमान करीने
झंडारोपण, तथा ६४ ऋद्धिधारी मुनिवरोनुं पूजन वगेरे विधिओ थई हती. ता. १प नी
रात्रे पार्श्वनाथप्रभुना गर्भकल्याणकनां द्रश्यो थया, त्यारबाद ता. १६ मी ए कुमारिका
देवीओ द्वारा वामादेवी मातानी सेवा, तत्त्वचर्चा वगेरे द्रश्यो थया. जन्माभिषेकना
कळशोनी उछामणी उल्लासकारी हती. –अमे कळश लीधा वगर रही न जईए–एवा
उमंगथी बधाय झडपभेर कळशनी बोली लेता हता. १०८ कळशनी बोली पूरी थतां
मात्र २० मिनिट लागी हती. –ते उपरथी तेनी झडपनो ख्याल आवशे. सांजे
उल्लासपूर्वक वेदीशुद्धि–मंदिर–कळश–ध्वजशुद्धि थई हती. दरेक विधिमां १६ ईन्द्रो ने १६
ईन्द्राणीओ भाग लेता हता. ईन्द्रो उपरांत केटलीक अगत्यनी विधि