Atmadharma magazine - Ank 282
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: २ : आत्मधर्म : चैत्र : २४९३
बयाना शहेरमां सीमंधर भगवानना प्राचीन प्रतिमाजी बिराजे छे, तेमना
दर्शन करीने गुरुदेव खूब प्रसन्न थया; अत्यंत आनंदपूर्वक सीमंधरनाथ साथेना
पूर्वभवना संबंधनी प्रसिद्धि करी; मात्र सात कलाकमां सीमंधरप्रभुनी छायामां
अतिशय उल्लासथी दर्शन–पूजन–भक्ति–अभिषेक अने आनंदकारी जाहेरातथी भव्य
उत्सव थयो. तेनी संपूर्ण विगत अने गुरुदेवना उद्गारो आ अंकमां जुदा आप्या छे.
बयानाथी प्रस्थान करीने ईटावा शहेर आव्या. ईटावानुं बीजुं नाम
‘ईष्टपुरी’ गुरुदेव पधारतां उत्साह पूर्वक स्वागत थयुं. आसपासथी पण मोटी
संख्यामां जिज्ञासुओ आव्या हता, ने विशाळ मंडप चिक्कार भराई गयो हतो.
जिनमंदिरमां प्राचीन प्रतिमाओना पण दर्शन कर्या. त्रण–चार जिनमंदिरो छे. गामथी
दूर जमना नदीना किनारे एक जूनुं जिनालय छे, त्यां गुरुदेव सांजे पधार्या हता ने
शांत वातावरणमां एक कलाक रह्या हता. जमुना नदी आ गाम सुधी आवे छे ने जे
दिशामांथी आवे छे ते ज दिशामां अहींथी पाछी वळे छे. आ शहेरमां अनेक प्राचीन
ईतिहास छे. रात्रे अहींना जैनसमाज तरफथी गुरुदेवने अभिनंदन–पत्र आपवामां
आव्युं हतुं अने तत्त्वचर्चा थई हती.
यात्रासंघ ईटावाथी सांजे प्रस्थान करीने कानपुर पहोंची गयो हतो ने गुरुदेव
ता. २० ना रोज सवारे पधार्या हता; स्वागत बाद बडा जिनमंदिरमां मंगलप्रवचन
थयुं हतुं. बपोरे टाउनहोलमां प्रवचन थयुं हतुं. सांजे जैन कलबना उत्साही
भाईओए गुरुदेवना सत्संगमां तत्त्वचर्चानो लाभ लीधो हतो. चैत्यालयनी बाजुमां
ज गुरुदेवनो उतारो हतो. रात्रे बडा मंदिरमां भक्तिनो कार्यक्रम हतो.
ता. २१ ना रोज अल्लाहाबाद आव्या. डाकबंगलामां उतारो हतो. गंगा–
जमनानो संगम थाय छे ते त्रिवेणीसंगमना स्थानने ‘प्रयाग’ कहेवाय छे–“प्रयाग”
ए मूळ तो भगवान आदिनाथ प्रभुना केवळज्ञाननी तीर्थभूमि छे, अहीं एक वडवृक्ष
नीचे भगवानने केवळज्ञान थयुं हतुं ने ईन्द्रो द्वारा महापूजा थई हती. ‘याग’ नो
अर्थ पूजा थाय छे ने ईन्द्रो द्वारा थता विशेष पूजनने ‘प्र–याग’ कहेवाय छे; आदिनाथ
ऋषभदेवने केवळज्ञान थतां ईन्द्रोए अहीं महापूजा करी तेथी आ स्थान प्रयागतीर्थ
तरीके जगतमां प्रसिद्ध थयुं. ते स्थाननुं अवलोकन करवा गुरुदेव पधार्या हता ने कहेता
हता के भगवान ऋषभदेवनी स्मृति तरीके आ स्थान