Atmadharma magazine - Ank 283
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : २४९३ आत्मधर्म : ३७ :
प्रश्नो
[जवाब ता. प जुन सुधीमां लखी मोकलशो]
सरनामुं: आत्मधर्म–बालविभाग, सोनगढ (सौराष्ट्र)
प्रश्न: १ तमारो मुख्य गुण क््यो?
प्रश्न: २ जीव–पुद्गल–धर्म–अधर्म–आकाश ने काळ ए छए द्रव्योमांथी
अस्तित्वगुण केटला द्रव्योमां छे?
प्रश्न: ३ भारतनुं सौथी महान तीर्थधाम कयुं? अने ते महान तीर्थमांथी सौथी
छेल्ला कया तीर्थंकर मोक्ष पाम्या?
प्रश्न: ४ आपणा बालविभागना सभ्योए, तेमज बधाय जैनोए करवा जेवी
त्रण वात कई? आत्मधर्ममां घणीवार ते आवी गई छे, भूली गया हो तो
बालविभागमांथी शोधीने लखो, अथवा तमारा मित्रने पूछी ल्यो.
पत्र लखो (एक नवीन आयोजन)
उनाळानी रजाओनो तमे शुं सदुपयोग कर्यो–ते संबंधी एक पत्र तमे तमारा
मित्र उपर लखो. आ पत्र तमे बालविभागना कोई सभ्यने तमारो भाई गणीने
लखता हो ते रीते लखवानो छे अने धार्मिकभावनानी द्रष्टिए लखवानो छे. पत्र सुंदर
अक्षरे लखशो; बहु लांबो न लखशो, अने संपादक आत्मधर्म, सोनगढ (सौराष्ट्र) ने
सरनामे (ता. ३० जुन सुधीमां) मोकली देशो. आवेला पत्रोमांथी उत्तम पत्रोने योग्य
ईनाम आपवामां आवशे. पत्र साथे तमारो सभ्य नंबर तथा पूरुं सरनामुं लखशो.
बालविभागनुं भेटपुस्तक (भगवान ऋषभदेव)
बालविभागना नीचेना सभ्योनां पूरा सरनामा अमारी पासे नथी, तेथी तेमनुं
भेटपुस्तक “भगवान ऋषभदेव” मोकली शकायुं नथी; जेओ तुरत पोतानुं सरनामुं
मोकली आपशे तेमने भेटपुस्तक मोकलीशुं–सभ्यनंबर–८७४, १०प६, १०प४, ११८७,
१०४८, १०प१, ८०१, ८०प, ७४०, ६८९, १२०७, १७१६, ४६९.