Atmadharma magazine - Ank 283
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : २४९३ आत्मधर्म : ३९ :
बोटाद शहेरमां गुरुदेवनो जन्मोत्सव

पू. गुरुदेवनो ७८मो जन्मोत्सव बोटाद शहेरमां आनंदथी उजवायो. गुरुदेव
आठ दिवस अगाउ बोटाद शहेरमां पधार्या ने उत्साहथी स्वागत थयुं. आ दरमियान
बहारगामथी पण अनेक जिज्ञासुओ आव्या हता. जिनमंदिर तथा स्वाध्यायमंदिर
प्रकाश अने शणगारथी शोभता हता; बोटादना भाईओने उत्साह हतो. आ उत्सवमां
मांगळिक तरीके पंचपरमेष्ठीनुं मंडलविधान थयुं हतुं. वैशाख सुद बीजे बहारगामथी
हजार उपरांत महेमानो जन्मोत्सव उजववा आव्या हता. अजमेरनी भजनमंडळीना
भाईओ पण आव्या हता.
वैशाख सुद बीजनी वहेली सवारमां मंगल वाजां ने ७८ घंटनाद पूर्वक उत्सवनी
शरूआत थई. जन्मवधाईना आनंदमां प्रभात फेरी नीकळी; ने आनंदपूर्वक नगरीमां
फरीने सौ मंडपमां जन्मवधाई लेवा आवी पहोंच्या. मंडपमां ७८ सुसज्जित कमानो
वगेरे शणगार शोभता हता. सवारमां गुरुदेवे भावभीना हृदये जिनेन्द्र भगवानना
दर्शन करीने अर्घ चडाव्यो. थोडीवारमां प्रभातफेरी मंडपमां आवी पहोंची, ने मंडपमां
बिराजमान गुरुदेवने हजारो भक्तोए अभिनंदन कर्या. त्यारपछी जिनमंदिरमां समूह–
पूजन थयुं ने पछी उत्साहपूर्वक श्री जिनेन्द्रभगवाननी रथयात्रा नीकळी हती. रथयात्रा
पछी अनेक भक्तोए गुरुदेवनो महिमा प्रसिद्ध कर्यो, जन्मोत्सव संबंधी भक्ति थई,
तथा आ प्रसंगनी खुशालीमां ७८नी अनेक रकमो जाहेर करवामां आवी; देशभरमांथी
सेंकडो अभिनंदनना तार सन्देशा आव्या हता.–आम बोटाद शहेरना आंगणे आनंदथी
गुरुदेवनो जन्मोत्सव उजवायो. बपोरना प्रवचन बाद भक्ति थई हती. रात्रे पण
आनंदकारी भक्ति थई हती. आ रीते बोटाद शहेरमां ७८ मी जन्मजयंतिनो उत्सव
पूर्ण थयो हतो ने बीजे दिवसे सवारमां गुरुदेव बोटादथी राजकोट पधार्या हता.
राजकोट शहेरमां––
अक्षय त्रीज (वै. सुद ३) आजना उत्तम दिवसे गुरुदेव पधारतां राजकोटना संघे
उत्साहपूर्वक स्वागत कर्युं. भव्य जिनालय, उन्नत मानस्तंभ, सीमंधरनाथनुं समवसरण–
मंदिर वगेरेनां दर्शन करतां आनंद थयो; गुरुदेव पधारतां अहींनुं वातावरण एक
तीर्थधाम जेवुं बनी गयुं हतुं. स्वागत बाद जिनमंदिरमां दर्शन करीने गुरुदेव जिनमंदिर
सामेना भव्य मंडपमां पधार्या. त्यां स्वागत–प्रवचन अने स्वागत–गीत बाद