Atmadharma magazine - Ank 283
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ४० : आत्मधर्म : वैशाख : २४९३
मांगळिक संभळावतां गुरुदेवे कह्युं के–भगवान कुंदकुंदाचार्यदेवे जीवत्वशक्तिद्वारा
आत्मानुं जीवन बताव्युं छे. आत्मा पोताना ज्ञान–दर्शन–आनंद ने सत्तारूप प्रत्यक्ष
प्राणथी जीवे ते साचुं जीवन छे. धर्मी जीव आवुं जीवन प्रगट करे छे. अने ते पहेलां
पण आवा आत्मानो निर्णय करवो जोईए के प्रत्यक्ष संवेदनगम्य चैतन्यस्वभाव हुं छुं;
परोक्षपणुं रहे एवुं मारुं स्वरूप नथी. आवा स्वसंवेदनप्रत्यक्ष आत्मानो निर्णय करवो
ते पण एक मांगळिक छे.
राजकोट संघनुं वातावरण उत्साह भर्युं छे. प्रवचनमां सवारे परमात्मप्रकाश
अने बपोरे समयसार कर्ताकर्म अधिकार वंचाय छे; रात्रे तत्त्वचर्चा पण अवनवी चाले
छे. आ उपरांत सवारे ने सांजे विद्यार्थीओनो शिक्षणवर्ग चाले छे, तेमां पण सेंकडो
विद्यार्थीओ ने जिज्ञासुओ लाभ लई रह्या छे. आम उत्साहपूर्वक गुरुदेवनी मंगल
छायामां धार्मिक वातावरण चाली रह्युं छे. शिक्षणवर्ग ३१ मे सुधी चालशे, अने ता.
१–६–६७ना पू. गुरुदेव सोनगढ पधारशे. विशेष समाचार आवता अंके. (राजकोटनी
चर्चा वगेरेनो नमूनो पण स्थळ–संकोचने कारणे आ अंके आपी शक््या नथी.)
जयजिनेन्द्र
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वि वि ध – स मा चा र
श्रवणबेलगोला (मैसुर) ना ४७० फूट ऊंचा विंध्यगिरि पहाड उपर स्थित
विश्वप्रसिद्ध भगवान बाहुबली (गोमटेश्वर) प्रभुना प७ फूट ऊंचा भव्य प्रतिमाजीनो
महामस्तकअभिषेक १४ वर्षे गत ता. ३० मार्च फागण वद पांचमना रोज थयो. पहेलो
सुवर्णकळश ४७००० (सुडतालीश हजार) रूा. नी ऊछामणीमां केरलना श्री
जिनचन्द्रनजीए लीधो हतो. त्रणलाख जेटला भक्तो अने दर्शको अभिषेक–उत्सवमां
आव्या हता; मैसुरना मुख्यप्रधान वगेरे पण उपस्थित हता. अभिषेक प्रसंगे
हेलीकोप्टर द्वारा पुष्पवृष्टि (मात्र १६ फूट ऊंचेथी) थई हती. आकाशमांथी पुष्पवृष्टिनुं
ए द्रश्य आनंदकारी हतुं. अभिषेकना दिवसे कळश लेनारा पांच हजार भक्तो ज
ईन्द्रगीरी (अथवा विंध्यागिरि) उपर जई शक््या हता. बीजा लाखो माणसो सामेनी
चंद्रगिरि पहाडी उपरथी अभिषेकनुं अवलोकन करता हता. देश–विदेशना पत्रकारो
टेलिविझन केमेरा सहित आव्या हता. महाअभिषेकनी फिल्म न्युझरील तरीके भारतना
मुख्य सीनेमाघरोमां बताववामां आवे छे. आ रीते देश–विदेशना लाखो–करोडो माणसो
भगवान बाहुबलीनाथना दर्शन करीने आनंदित थाय छे. गुरुदेवे आ बाहुबली
भगवानना दर्शन वखते आनंदकारी