एम अंतरमां अभ्यास वडे ज्ञानस्वरूप आत्मानो अनुभव थाय छे. ने आवा अनुभव
वडे ज मोक्षमार्ग प्रगटे छे.
छूटवा चाहतो होय ते जीव गुरु पासे आवीने उपाय पूछे छे के प्रभो! आ आत्मा
दुःखोथी केम छूटे? बंधनथी बंधायेल गाय वगेरे पशु पण तेनाथी छूटकाराना प्रसंगे
आनंदथी उल्लसित थाय छे; तो अनादि काळथी बंधनथी बंधायेला आत्माने सन्तो
तेनाथी छूटकारानी रीत संभळावे छे ते सांभळतां मोक्षार्थी जीवने उल्लास आवे छे के
वाह! आ मारा आत्माना मोक्षनी वात सन्तो मने बतावे छे.–आम घणा आदरपूर्वक
मोक्षनो उपाय सांभळे छे.
तैयारीवाळा जीवनी परिणतिनुं वर्णन करतां गुरुदेव कहे छे के स्वभावनो निर्णय करीने
तेना लक्षे अनुभवनो उद्यम करी रहेला जीवने विकल्प तो छे पण तेनुं जोर विकल्प
तरफ नथी जातुं; तेनुं जोर तो अंर्तस्वभाव तरफ ज जाय छे, जेवो स्वभाव ज्ञानना
निर्णयमां लीधो छे तेवो ज अनुभवमां लेवा मांगे छे, एटले तेनी परिणति स्वभाव
तरफ झुकती जाय छे ने विकल्प तूटीने निर्विकल्प अनुभव थाय छे. पहेलां