
जतो नथी, केमके सर्वज्ञ भगवाने जेम कार्य जोयुं छे तेम तेनो पुरुषार्थ पण भेगो ज जोयो छे.
जेमके एक जीवने अमुक दिवसे सम्यग्दर्शन थवानुं छे एम भगवाने जोयुं छे, तो साथे साथे
एम पण जोयुं छे के ते दिवसे जीव साचो पुरुषार्थ उपाडीने स्वसन्मुख थशे. कांई सर्वज्ञे एम
नथी जोयुं के ते जीवने साचा पुरुषार्थ वगर सम्यग्दर्शन थई जशे! अने एक नियम छे के
सर्वज्ञनी ओळखाण करनारने साचो पुरुषार्थ जरूर होय छे, केमके जेणे सर्वज्ञने ओळख्या
तेणे आत्मानो स्वभाव ओळख्यो. (आ विषय गंभीर अने महत्त्वनो छे; अहीं मात्र टूंकमां
तमारो जवाब लख्यो छे.)
होती है कि अहो! में भी कब ऐसे मुनिराज के समान बनकर जंगलमें आत्माकी मस्तीमें
विचरुं और जन्म–मरणका अभाव करुं! यही जन्मदिन भावना भाता हुं
प्रवचनो पण वांचीए छीए. परिश्रम बदल शतश: धन्यवाद!
बधा ‘जिनसंतान’ छीए एटले बधा भाई–बहेन ज छीए. अहीं बोरीवलीमां मारवाडीनुं
दिगंबर जैनमंदिर छे, हुं त्यां रोज दर्शन करवा जाउं छुं. त्यां २४ प्रतिमाजी छे, तेमने जोतां मने
खूब ज आनंद आवे छे, अने त्यारे महाविदेहक्षेत्रमां बिराजता सीमंधरभगवाननुं समवसरण
याद आवे छे, ने एम थाय छे के हुं पण त्यां होउं तो केवुं सारूं!
होय छे, ते शुं हशे?
तेमज पगमां पण एवां चिह्नो अंकित होय छे. ए ज रीते छातीमां वच्चे फूल जेवुं छे ते
पद्म छे, ते पण एक उत्तम चिह्न ज छे. आप प्रतिमाजीनुं आ रीते ध्यानथी अवलोकन करो
छो ते बदल धन्यवाद! (बाकीना प्रश्नो आवता अंके)