Atmadharma magazine - Ank 285
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: अषाड : २४९३ आत्मधर्म : ३९ :
उत्तर:– भाईश्री, आत्मा पोते ज्यारे स्वतंत्र वस्तु छे त्यारे तेनो पुरुषार्थ परतंत्र
केम होय? एक कार्य सर्वज्ञ भगवाने जोयुं हतुं त्यारे ज थयुं तेथी कांई तेमांथी पुरुषार्थ ऊडी
जतो नथी, केमके सर्वज्ञ भगवाने जेम कार्य जोयुं छे तेम तेनो पुरुषार्थ पण भेगो ज जोयो छे.
जेमके एक जीवने अमुक दिवसे सम्यग्दर्शन थवानुं छे एम भगवाने जोयुं छे, तो साथे साथे
एम पण जोयुं छे के ते दिवसे जीव साचो पुरुषार्थ उपाडीने स्वसन्मुख थशे. कांई सर्वज्ञे एम
नथी जोयुं के ते जीवने साचा पुरुषार्थ वगर सम्यग्दर्शन थई जशे! अने एक नियम छे के
सर्वज्ञनी ओळखाण करनारने साचो पुरुषार्थ जरूर होय छे, केमके जेणे सर्वज्ञने ओळख्या
तेणे आत्मानो स्वभाव ओळख्यो. (आ विषय गंभीर अने महत्त्वनो छे; अहीं मात्र टूंकमां
तमारो जवाब लख्यो छे.)
* स. नं. ३१८ प्रेमचन्द जैन खैरागढथी लखे छे के–“मेरे जन्मदिवसके उपलक्षमें
अभिनंदन–कार्डकी साथ कुंदकुंदाचार्यदेवका फोटो मिला, उसको देखनेसे यह भावना जागृत
होती है कि अहो! में भी कब ऐसे मुनिराज के समान बनकर जंगलमें आत्माकी मस्तीमें
विचरुं और जन्म–मरणका अभाव करुं! यही जन्मदिन भावना भाता हुं
* घोडनदी (महाराष्ट्र) थी वसंतलाल जैन (No. 197) लखे छे के त्मधर्मना
बालविभागमां नवी नवी सामग्री वांचीने बहु आनंद थाय छे. साथे साथे गुरुदेवना
प्रवचनो पण वांचीए छीए. परिश्रम बदल शतश: धन्यवाद!
* बोरीवलीथी राजुलबेन जैन (No. 1138) लखे छे के–बालविभागना बीजा हजारो
सभ्योनी जेम हुं पण एक नानी बालिका छुं; मने आपणो बालविभाग बहु ज गमे छे. आपणे
बधा ‘जिनसंतान’ छीए एटले बधा भाई–बहेन ज छीए. अहीं बोरीवलीमां मारवाडीनुं
दिगंबर जैनमंदिर छे, हुं त्यां रोज दर्शन करवा जाउं छुं. त्यां २४ प्रतिमाजी छे, तेमने जोतां मने
खूब ज आनंद आवे छे, अने त्यारे महाविदेहक्षेत्रमां बिराजता सीमंधरभगवाननुं समवसरण
याद आवे छे, ने एम थाय छे के हुं पण त्यां होउं तो केवुं सारूं!
पछी आ बहेन पूछावे छे के–कोईक प्रतिमाजीना हाथनी हथेळीमां चिह्नो होय छे अने
कोईकमां नथी होता,–तो आ चिह्नोनो अर्थ शुं हशे? तथा छातीमां वच्चे कोईने फूल जेवुं
होय छे, ते शुं हशे?
उत्तर:– श्री तीर्थंकरदेवना उत्तम देहमां कुदरती रीते १००८ उत्तम चिह्नो (शुभ–
लांछन) होय छे–स्वस्तिक, पद्म वगेरे; तेथी तेनी स्मृतिरूपे कोई कोई प्रतिमाजीना हाथमां
तेमज पगमां पण एवां चिह्नो अंकित होय छे. ए ज रीते छातीमां वच्चे फूल जेवुं छे ते
पद्म छे, ते पण एक उत्तम चिह्न ज छे. आप प्रतिमाजीनुं आ रीते ध्यानथी अवलोकन करो
छो ते बदल धन्यवाद! (बाकीना प्रश्नो आवता अंके)