Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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मोक्षमार्गीनुं जीवन
अहा, मोक्षमार्गी जीवोनां जीवन कोई जुदी
जातना छे. पोताना चैतन्यस्वभाव सिवाय बीजा कोईनी
जेने अंतरमां दरकार नथी. जगतना प्रसंगोथी एमनी
परिणति हली जती नथी. अंतरनी अनुभवदशामां
चैतन्यना आनंदना दरिया डोलता देख्या छे, एनुं चित्त
हवे बीजे केम लागे?
रे जीव! तारे मोक्षमार्गी थवुं छे ने! तो
संसारमार्गी जीवो करतां मोक्षमार्गी जीवोनां लक्षण तद्न
जुदां होय छे. माटे प्रतिकूळता वगेरे प्रसंग आवतां तुं
संसारीजीवोनी जेम न वर्तीश. पण मोक्षमार्गी–
धर्मात्माओनी प्रवृत्ति लक्षमां लईने ते रीते वर्तजे;
मोक्षमार्गमां द्रढ रहेजे...मोक्षमार्गी धर्मात्माओना
जीवनने तारा आदर्शरूपे राखजे.
वीर सं. २४९३ ब्रह्मचर्य अंक (चोथो) वर्ष: २४
श्रावण अंक: १०