Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: १८ : आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : श्रावण : २४९३
भगवान ऋभषदेवना मोक्षगमनसूचक स्वप्नो देख्या. ने ए ज सवारे ‘आनंद’
नामनो दूत समाचार लाव्यो के भगवान मोक्ष जवानी तैयारी करी रह्या छे.
तुरत ज समस्त परिवार सहित भरतचक्रवर्ती भगवानना समवसरणमां
आवी पहोंच्या, ने १४ दिवस सुधी महामह नामनी मोटी पूजा करी.
भगवाननुं मोक्षगमन
पोष वद १४ (शास्त्रीय
माह वद १४) ना रोज सूर्योदय
वखते भगवान ऋषभदेव
पूर्वमुखे अनेक मुनिओ सहित
पर्यंकासने बिराजमान थया,
सूक्ष्मक्रियाप्रतिपाति नामना
त्रीजा शुक्लध्यानवडे त्रणे योगनो
निरोध करीने अयोगी थया;
अंतिम गुणस्थाने पांच
लघुस्वरना उच्चारण जेटला
समयमां चोथा
व्युपरतक्रियानिवर्ति नामना
शुक्लध्यानवडे चार
अघातीकर्मोनो अत्यंत अभाव करी, अशरीरी सिद्धपदने पाम्या ने अष्टमहागुणसहित
ऊर्ध्वगमन करी तनुवातवलयमां लोकाग्रे बिराजमान थया. आत्मसुखमां तल्लीनपणे
अत्यारे पण तेओ त्यां बिराजी रह्या छे.
ते सिद्धप्रभुने नमस्कार हो.
जय आदिनाथ!
देवोए भगवान ऋषभदेवना मोक्षकल्याणकनो उत्सव कर्यो. ए वखते भरतनुं
प्रबुद्धचित्त पण स्नेहवश शोकाग्निथी संतप्त थई रह्युं हतुं. त्यारे तेमना नानाभाई
वृषभसेनगणधरे तेमने वैराग्यमय धर्मोपदेशवडे आश्वासन आप्युं ने भगवान
ऋषभदेव वगेरे दसेय जीवोना पूर्वभवोनुं वर्णन कर्युं. (जुओ–दशजीवोनी भवावलीनुं
कोष्टक.)