Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: श्रावण : २४९३ आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : १७ :
जयंत, विजय, संजयंते, तेमज चक्रवर्तीना रविकीर्ति वगेरे अनेक पुत्रोए दीक्षा लीधी.
जयकुमार ऋषभदेवप्रभुना७१ मा गणधर थया ने मोक्ष पाम्या; सुलोचनाए पण दीक्षा
लीधी, ने एकावतारी थई. (जयकुमारनी दीक्षानुं द्रश्य आ अंकमां टाईटल ३ उपर छे.)
हवे आपणे पण भगवानना समवसरणमां जईने भगवानना धर्मवैभवने
नीहाळीए:
भगवाननो धर्मवैभव
मोक्षमार्गना नायक ने धर्मतीर्थना प्रवर्तक भगवान ऋषभदेव समवसरणमां
८४ गणधरोनी वच्चे शोभी रह्या छे. तेमना समवसरणमां वीस हजार केवळज्ञानीओ
गगनमां बिराजे छे; ४७प० श्रुतकेवळीओ छे; ४१प० शिक्षकमुनिवरो छे; ९०००
अवधिज्ञानी मुनिवरो छे; २०६०० विक्रियाऋद्धिधारक मुनिवरो छे; १२७प०
मनःपर्ययज्ञानी मुनिवरो छे. ए रीते कुल ८४०८४ (चौराशी हजार ने चोराशी)
मुनिवरोनो संघ बिराजे छे,–तेमने नमस्कार हो. ब्राह्मी वगेरे त्रण लाख पचास हजार
अर्जिकामाताओ भगवानना गुणोनी उपासना करी रह्यां छे; द्रढव्रतादि त्रण लाख
श्रावको ने सुव्रतादि पांच लाख श्राविकाओ भगवाननी स्तुति करे छे; देवो अने
तिर्यंचोनो पण कोई पार नथी. आवी उत्तम धर्मसभामां दिव्यध्वनिना धोध छूटी रह्या
छे ने केटलाय जीवो सम्यक्त्वादि धर्म पामीने मोक्षमार्गने साधी रह्या छे.
जयकुमार वगेरेनी दीक्षा बाद भरत महाराजाए समवसरणमां आवीने
भगवाननी पूजा करी ने परमभक्तिथी धर्मोपदेश सांभळ्‌यो.
ए रीते सज्जनोने उत्तम मोक्षफळनी प्राप्ति कराववा माटे भगवान एक लाख
पूर्व (–तेमां एक हजार वर्ष ने १४ दिवस कम) सुधी आ भरतभूमिमां तीर्थंकरपणे
विचर्या. ज्यारे तेमने मोक्ष जवामां १४ दिवस बाकी रह्या त्यारे पोष सुद पूर्णिमाना
दिवसे कैलासपर्वत उपर भगवाननो योगनिरोध शरू थयो, दिव्यध्वनि बंध थई गई.
बराबर ए ज दिवसे अयोध्यानगरीमां भरते स्वप्न जोयुं के मेरुपर्वत ऊंचो
थईने ठेठ सिद्धक्षेत्र सुधी पहोंची रह्यो छे, अर्ककीर्तिए एवुं स्वप्न जोयुं के महाऔषधनुं
वृक्ष मनुष्योनां जन्मरोगने मटाडीने स्वर्गमां जाय छे; गृहपतिए जोयुं के कल्पवृक्ष
ईच्छित फळ आपीने स्वर्गमां जई रह्युं छे; प्रधानमंत्रीए जोयुं के एक रत्नद्वीप लोकोने
रत्नसमूह आपीने आकाशमां जवा तैयार थयेल छे; ए ज रीते सेनापति वगेरेए पण