Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ६२ : आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : श्रावण : २४९३
* उद्घाटन (तारीखमां फेरफार)
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्टना भूतपूर्व प्रमुख मुरब्बी श्री
रामजीभाईना सन्मान निमित्ते एकठा थयेल फंडमांथी शास्त्रभंडार
माटेनो जे होल सोनगढमां बांधवामां आवेल छे तेनुं उद्घाटन भादरवा
सुद चोथे थवाना जे समाचार आत्मधर्मना आ अंकमां पृ. १३ पर
छपायेला छे तेमां फेरफार थयेल छे माटे ते समाचार रद समजवा; तेने
बदले हवे भादरवा सुद एकम ने मंगळवार ता. प–९–६७ ना दिवसे
उद्घाटन करवानुं नक्की थयुं छे. आ उद्घाटन जैनसमाजना प्रसिद्ध नेता
श्रीमान शाहु शांतिप्रसादजी जैनना सुहस्ते थशे; तेमज ईन्दोरना श्रीमान
शेठ राजकुमारसिंहजी पण विशेष अतिथि तरीके पधारशे.
* अषाड मासना अष्टाह्निकापर्व दरमियान तेरहद्वीप पूजन विधानमांथी
मेरुमंदिरोनी ने नंदीश्वर जिनालयोनी पूजा थई हती. वद एकमे जिनेन्द्र
अभिषेक पूर्वक पूजननी पूर्णता थई हती; तथा ते दिवसे वीरशासन
जयंति (दिव्यध्वनिनो दिवस) पण उजववामां आवेल.
* श्रावण सुद दसमना रोज पुरुषार्थसिद्धिउपाय उपरना प्रवचनो पूर्ण थया, ने
सुद अगियारसथी समयसार–कलशटीका उपर फरी (बीजीवार) प्रवचनो
शरू थया छे. शास्त्रप्रारंभमां ‘नम: समयसार’–ए मांगळिकद्वारा गुरुदेवे
कह्युं के चारगतिना दुःखना नाशने माटे ने मोक्षसुखनी प्राप्ति माटे आ
मंगळमाणेकस्थंभ रोपाय छे. समयसार एवो जे शुद्धआत्मा तेने जाणतां
जाणनारने अपूर्वसुख अनुभवमां आवे छे. शुद्धआत्मा सुखस्वरूप छे,
तेने जाणतां सुख थाय छे. परचीजमां आत्मानुं सुख नथी ने परने
जाणतां सुख थतुं नथी. माटे शुद्धआत्मा ज सारभूत छे, तेनो आदर
करवो ते मंगळ छे.
बपोरना प्रवचनमां समयसार (पंदरमी वखत) वंचाई रह्युं छे, तेमां
बंध अधिकार चाले छे.