Atmadharma magazine - Ank 286
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: ६४ : आत्मधर्म : ब्रह्मचर्य–अंक (चोथो) : श्रावण : २४९३
बे चित्रोनो परिचय
आ प्रथम चित्रमां बनारसथी ८ माईल दूर आवेल सिंहपुरीना मजाना
जिनमंदिरनुं द्रश्य छे. आ सिंहपुरी तीर्थधाम ए ११ मा श्रेयांसनाथ भगवाननुं
जन्मधाम छे. हालमां आपणे पू. गुरुदेव साथे जयपुर पछी सम्मेदशिखरजी तरफ
जता हता त्यारे वच्चे फागण सुद अगियारसे बनारस रह्या हता, ने बराबर ते
उत्तम दिवसे आपणे सिंहपुरी तीर्थना जिनमंदिरनी यात्रा करी हती, ने
बनारसमां ते दिवसे सांजे वरसाद पण आव्यो हतो. ए यात्रा अने ए वरसाद
यात्रिकोने हजी पण याद हशे.
अने आ बीजा चित्रमां गंधकूटी उपर जे बिराजमान छे ते भगवान
ऋषभदेव छे. हाथ जोडीने ऊभा छे ते हस्तिनापुरना राजा अने भरतचक्रवर्तीना
सेनापति जयकुमार छे, संसारथी विरक्त थईने तेओ आदिनाथप्रभु पासे
मुनिदीक्षा लई रह्या छे.
जे राजकुमारो देखाय छे तेओ भरतचक्रवर्तीना पुत्रो छे. सो राजकुमारो
वनमां खेलवा गया हता...ते वखते एक घोडेसवारे त्यां आवीने तेमने
जयकुमारनी दीक्षाना समाचार आप्या...ते सांभळतां ज ए नानाकडा राजकुमारो
एकदम आश्चर्य पाम्या, ने तेमनुं चित्त संसारथी विरक्त थयुं...तेओ पण, त्यांथी
घरे जवाने बदले सीधा भगवानना समवसरणमां दीक्षा लेवा माटे जई रह्या छे.
वैराग्यवंत नानकडा सो राजकुमारोनी दीक्षानुं केवुं मजानुं द्रश्य छे!!
आ अंकमां केटलाक विशेष लेखो आपवानी भावना हती पण मर्यादित
पृष्ठसंख्याने कारणे केटलाक लेखो बाकी रह्या छे. अने ब्रह्मचर्य–प्रतिज्ञा संबंधी
ताजा समाचार जिज्ञासुओने आ अंकमां ज मळे ते माटे आ अंक आठ दिवस
विलंबथी प्रसिद्ध करवामां आव्यो छे. हवे पछीनो अंक राबेता मुजब २० मी
तारीखे प्रगट थशे.
आ अंकने माटे जरूरी फोटा तथा ब्लोक्स तुरत तैयार करावीने मोकलवा
माटे मुंबईना फोटोग्राफर भाईश्री पुनम शेठनो आभार.