जराक वांच्युं त्यां एवो भणकार आव्यो
थवानी वात छे. अशरीरी एवा
अंतरमांथी सिद्धपदना भणकार करती
संतोनी आ वाणी आवी छे. आ
सिद्धपदनो अलौकिक मार्ग बताव्यो छे.
Atmadharma magazine - Ank 287
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).
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