Atmadharma magazine - Ank 287
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: २४ : आत्मधर्म : भादरवो : २४९३
करी ने ८।।। थी ९सुधी प्रवचन सांभळ्‌युं; तेमां अनुभव पहेलांनी दशानुं तथा
अनुभवदशा वखतनुं सुंदर विवेचन गुरुदेवे समजाव्युं.
प्रवचन पछी तरत उद्घाटन–समारंभ संबंधी कार्यवाही शरू थई. प्रथम
बहारगामना शुभेच्छासन्देशनुं वांचन थयुं. त्यारबाद विद्वान भाईश्री हिंमतलाल
जे. शाहे प्रासंगिक प्रवचन कर्युं: प्रथम तेमणे गुरुदेवनो उपकार प्रसिद्ध कर्यो, अने
गुरुदेवनी छत्रछायामां संस्थाना विकासनो टूंक ईतिहास बतावीने कह्युं के त्रीसेक
वर्ष पहेलां ज्यारे आ जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–संस्थानी स्थापना थई त्यारे
कोईने ख्याल न हतो के आगळ जतां आ संस्थानो प्रभाव भारतव्यापी बनी
जशे. संस्थानी शरूआतथी आज सुधी मुरब्बी श्री रामजीभाईए जे सेवाओ करी
छे, वहीवटीक्षेत्रमां तेमनी कुशळता द्वारा संस्थानो जे विकास थयो छे, ‘आत्मधर्म’
ना सफळ संपादन द्वारा तेमज साहित्य–प्रकाशन द्वारा प्रचारमां तेमणे जे महत्त्वनो
फाळो आप्यो छे–ते बधा माटे मु. श्री रामजीभाईनो आभार मानीने तेमने
अभिनंदन आप्या हता. मु. श्री रामजीभाईनी सेवाओ निमित्ते तेमना
सन्माननिधिमांथी आ सरस्वती भवन बन्युं छे, ने आजे जैन समाजना प्रसिद्ध
आगेवान श्री शाहुजीना हस्ते तेना उद्घाटननो आ प्रसंग बनी रह्यो छे.
हिंमतभाई पछी मुरब्बी भाईश्री खीमचंदभाईए पण विद्वत्तापूर्ण टूंका भाषण
द्वारा मु. श्री रामजीभाई प्रत्ये अंजलिपूर्वक कह्युं के आजे तेओ ८४ वर्ष पूरा करे
छे, तेम ८४ ना फेराथी पण छूटीने तेओ शाश्वतपदने शीघ्र पामे एम भावना
भावीए छीए. त्यारपछी भाईश्री बाबुभाईए पण पोतानी उत्साहभरी शैलिथी
गुरुदेवनो महिमा प्रगट करीने, मु. श्री रामजीभाईनो पण उपकार मान्यो हतो.
छेवटे माननीय प्रमुखश्री नवनीतभाई सी. झवेरीए संस्था अने समाजनी वती
मु. श्री रामजीभाईनो उपकार मानीने अंजलि अर्पण करी हती, ने शाहुजीने
सरस्वती भवननुं उद्घाटन करवा माटे विनंति करी हती. उद्घाटन पहेलां भाषण
द्वारा श्रीमान् शांतिप्रसादजी शाहुए गुरुदेव प्रत्ये श्रद्धांजलि अर्पण करतां कह्युं हतुं
के–आज मैं अपनेको धन्य समझता हूं कि मुझे सोनगढ आकर के पू. गुरुदेवका
उपदेश सुननेका अवसर मिला. भगवान कुंदकुंददेवने जो ज्ञान दिया था उस
ज्ञानकी जानकारी पू.
गुरुदेवके द्वारा भारत देशको मिली. आज हम जिसका
सन्मान कर रहे हैं उस रामजीभाईका भी ईसके प्रचारमें बडा सहयोग है. पू.
गुरुदेवके दर्शनका मुझे यह