Atmadharma magazine - Ank 287
(Year 24 - Vir Nirvana Samvat 2493, A.D. 1967)
(Devanagari transliteration).

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: भादरवो : २४९३ आत्मधर्म : २३ :
श्री कुंदकुंद–कहान जैन
शास्त्रभंडारनुं उद्घाटन
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–सोनगढना आद्य–प्रमुख तेमज आ
आत्मधर्मना आद्य–संपादक माननीय मुरब्बी श्री रामजीभाई माणेकचंद दोशी के
जेमणे लगभग पचीस वर्ष सुधी संस्थाना प्रमुखपणे रहीने संस्थानी उन्नतिमां ने
साहित्यप्रचारमां महत्त्वनो फाळो आप्यो छे ने हजी पण आपी रह्या छे, तेमना
सन्माननिमित्ते बे वर्ष पहेलां एक लाख रूा. नुं फंड थयुं हतुं, ते फंडमांथी अंदाज
४०, ००० (चालीश हजार) रूा. ना खर्चे सोनगढमां स्वाध्याय मंदिरनी बाजुमां
‘श्री कुंदकुंद–कहान जैन शास्त्रभंडार’ माटेनो जे सुंदर होल बांधवामां आवेल छे,
तेनुं उद्घाटन आ भादरवा सुद चोथे थयुं. आ उद्घाटन माटेना निमंत्रणनो
स्वीकार करीने दिल्हीथी जैन समाजना प्रसिद्ध नेता श्रीमान् शांतिप्रसादजी शाहु
सोनगढ आव्या हता. श्रीमान् शाहुजी पू. गुरुदेवना परिचयमां जोके आ चोथीवार
आव्या, परंतु सोनगढ तो तेओ पहेली ज वार आव्या; सोनगढमां भव्य
जिनमंदिर, सुंदर समवसरण, उन्नत ने उज्जवळ मानस्तंभ, अध्यात्मना गुंजारव
करतो प्रवचन मंडप, शीतलछाया प्रसरावतुं स्वाध्याय मंदिर, अने शीतलछाया
प्रसरावतो ब्रह्मचर्यआश्रम वगेरे जोईने, तेमज शासनप्रभावी गुरुदेवना दर्शन–
प्रवचनथी तेओ प्रसन्न थया हता. साथे साथे उद्घाटन प्रसंगे गामेगामना
मुमुक्षुओनो मेळो जोईने तेओ आनंदित थया हता. (अगाउ भाद्र सुद एकमे
उद्घाटन थवानुं जाहेर थयेल, ते प्रसंगे इंदोरना शेठश्री राजकुमारसिंहजीए
आववानी स्वीकृति आपेल; परंतु दसलक्षणना दिवसोमां तेओ ईंदोरमां ज रहेता
होवाथी आ भाद्र सुद ४ ना दिवसे उद्घाटन प्रसंगे तेओ आवी शक््या न हता.)
भादरवा सुद चोथे पर्युषणपर्वनो प्रारंभ थतो होवाथी सवारमां
जिनमंदिरमां दसलक्षणपर्वसंबंधी समूहपूजन थयुं. चारेकोर उमंगभर्या उत्सवनुं
वातावरण हतुं. पछी प्रवचनसभामां ८ाा वागे गुरुदेवे उत्तमक्षमा संबंधी प्रवचन
कर्युं. पोणा नव वागतां दिल्हीथी शेठश्री शांतिप्रसादजी शाहु सोनगढ पहोंची गया
ने जिनेन्द्रभगवानना दर्शन करीने तरत प्रवचनमां आव्या. गुरुदेवना दर्शनथी
प्रसन्नता व्यक्त