हरकोई वांचकोना योग्य विचारो आ विभागमां व्यक्त थाय छे. आ विभागमां
अवनवी नवीनता माटे आप पण प्रश्न वगेरे मोकली शको छो.
उत्तम भावनाओ रजु करी हती. जग्या थोडी अने पत्रो घणा–तेथी बधा पत्रो छापी.
शकाया नथी; केटलाक पत्रो छपाया छे;–आ पत्रो उपरथी ख्याल आवे छे के
बालविभागना सभ्योमां धर्मना केवा सरस संस्कार रेडाई रह्या छे. पत्र लखनारा
बधा सभ्योने धन्यवाद साथे ‘रत्नसंग्रह’ नामनुं सरस पुस्तक भेट मोकलवामां आव्युं
छे. आ पुस्तक संपादक तरफथी भेट आपवामां आव्युं छे. बंधुओ, हवे दीवाळीनी
रजाओनो आनाथी पण वधु सदुपयोग करजो........
उपदेश–रत्नोनो सुंदर संग्रह छे, ने नाना मोटा सौने उपयोगी छे.)
रोज स्वर्गवास पाम्या छे. थोडा वखत पहेलां पू. गुरुदेव नरोडामां तेमना घेर पधारेला
त्यारे पद्मकान्तने घणो आनंद ने उल्लास थयेलो. पू. गुरुदेव यात्रामां दिल्ही पधार्या
त्यारे पण गुरुदेवनी वाणी तेणे सांभळी हती. तेमना एक भाई आपणा
बालविभागना सभ्य छे. आवा युवानना वियोगथी तेमना परिवार उपर जे दुःख
स्वर्गस्थ आत्मा पण जैनधर्मना संस्कारवडे आत्महित पामो...
आफ्रिका जेवो परदेश, अने दसेक वर्षनी लांबी बिमारी छतां तेमणे पोतानी धार्मिक
भावनाओ टकावी राखी हती, तेओ गुरुदेवने वारंवार याद करता, तेमज त्यांना
तेमनो आत्मा निरंतर सत्संगनो योग पामो ने पोतानी आत्मिकभावनाओ पूर्ण करो.