Atmadharma magazine - Ank 289
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 6 of 45

background image
: कारतक : २४९४ आत्मधर्म : ३ :
‘विस्तारथी बस थाओ! आचार्यदेव कहे छे के वधारे शुं कहीए? बधाय तीर्थंकरभगवंतो
आवा वीतरागी मोक्षमार्गरूप उपायवडे ज भवसागरने तर्या छे, ने तेओए बीजा मुमुक्षु जीवोने
पण ए वीतरागतानो ज उपदेश आप्यो छे. आम कहीने आवा साक्षात् मोक्षमार्ग प्रत्येना
प्रमोदथी आचार्यदेव कहे छे के अहो! जयवंत वर्तो वीतरागपणुं....के जे साक्षात् मोक्षमार्गनो सार
होवाथी शास्त्रना तात्पर्यर्भूत छे, साक्षात् मोक्षमार्गना साररूप वीतरागता जयवंत वर्तो! आवो
मोक्षमार्ग जयवंत वर्तो! ने तेना वडे थयेली आत्मउपलब्धि जयवंत वर्तो.
आ प्रमाणे वीतरागी सन्तोए वीतरागताना जयजयकार करीने वीतरागभावने
मोक्षमार्ग तरीके प्रसिद्व कर्यो छे. बधाय तीर्थंकर भगवंतोए आ ज रीते मोक्षने साध्यो, अने आ
ज रीते तेनो उपदेश कर्यो; माटे नक्की थाय छे के आ ज एक निर्वाणनो मार्ग छे, बीजो कोई
निर्वाणनो मार्ग नथी. आ रीते निर्वाणनो मार्ग नक्की करीने आचार्यदेव कहे छे के बस, हवे
बीजा प्रलापथी बस थाओ, मारी मति व्यवस्थित थई छे, मोक्षमार्गनुं कार्य सधाय छे. आवो
मोक्षमार्ग दर्शावनारा भगवंतोने नमस्कार हो–
अर्हंत सौ कर्मोतणो करी नाश ए ज विधि वडे,
उपदेश पण एम ज करी निर्वृत थया, नमुं तेमने. (प्रव० २८)
अहा, साक्षात् मोक्षमार्ग तरीके आ वीतरागताने ज जयवंत कहीने आचार्यदेवे कमाल
करी छे. साक्षात् मोक्षमार्ग एटले सीधो मोक्षमार्ग, खरो मोक्षमार्ग तो वीतरागता ज छे, एटले के
मोक्षमार्गमां पहेलेथी छेल्ले सुधी (शरूआतथी पूर्णता सुधी) जे वीतरागता छे ते ज मोक्षमार्ग
छे; मोक्षमार्ग तरीके वीतरागता ज जयवंत वर्ते छे; रागनो तो मोक्षमार्गमांथी क्षय थतो जाय छे.
आवा वीतरागभावरूप साक्षात् मोक्षमार्गने जाणीने तेने आराधवो ते महा मांगळिक छे.
जुओ, आ बेसता वर्षनी बोणी अने आशीर्वाद अपाय छे. वीतरागी मोक्षमार्ग समजीने
तेनी आराधना करवी ते अपूर्व बोणी छे. जेणे आवा वीतरागीमार्गनी सम्यक् श्रद्धा करी तेना
आत्मामां अपूर्व नवुं वर्ष बेठुं, तेणे मोक्षनो महोत्सव कर्यो ने तेणे सन्तो पासेथी साची बोणी
अने आशीर्वाद मेळव्या.
श्रमणो जिनो तीर्थंकरो ए रीते सेवी मार्गने
सिद्धि वर्या, नमुं तेमने; निर्वाणना ते मार्गने.