Atmadharma magazine - Ank 290
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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२० : आत्मधर्म : मागशर २४९४
महावीर परमात्मा आजे मोक्षपद पाम्या, सादिअनंत एवुं सिद्धसुख भगवान आजे
पाम्या. एवी सिद्धदशानी ओळखाण क्यारे थाय? के रागथी अधिक थईने ज्ञानउपयोग वडे
आत्मवस्तुने अनुभवमां लीधी त्यारे सिद्धदशानी साची ओळखाण थई.
भगवाने पोताना आत्मामां पूर्ण आनंददशारूप मोक्षदशा प्रगट करी. तेमने ओळखीने
पोते स्वसन्मुख उपयोग वाळवो ते भगवाननो सन्देश छे. एवुं कर्युं तेणे पोताना आत्मामां
सम्यग्दर्शनादि दीवडा प्रगटाव्या ने साची दीवाळी ऊजवी.
विश्वनी दरेक वस्तु पोतपोताना स्वरूपनी मर्यादामां छे, कोई वस्तु बीजी वस्तुनी
सीमामां (तेना द्रव्य–गुण–पर्यायमां) प्रवेशती नथी. आवुं वस्तुस्वरूप वीरभगवाने प्रकाशित
कर्युं छे. आवुं स्वाधीन स्वरूप ओळखीने, पोताना उपयोगने आत्मसन्मुख करतां ज्ञानज्योत
प्रगटे छे, मोक्षमार्ग प्रगटे छे. आवा मार्गे भगवान आजे मोक्ष पधार्या.
शुद्ध ज्ञानमय आ आत्मा आनंदस्वभावी छे. दुःखना कारणरूप एवा रागादि विकल्पने
करवानो के भोगववानो तेनो स्वभाव नथी; तेथी ते रागादिनुं कर्तृत्व–भोक्तृत्व छोडीने
भगवान महावीर परमात्मा आजे संपूर्ण शुद्ध एवी आत्मदशाने पाम्या. तेनो आजे दिवस छे.
भगवानने सिद्धदशा आजे प्रगटी ते आनंदमय छे, तेथी आजे आनंदनो दिवस छे; तेनी
भावनानो दिवस छे. आत्माना आवा अतीन्द्रिय आनंदनुं स्वरूप लक्षमां ल्ये तो बीजे क््यांय
सुखबुद्धि रहे नहि; एटले परभावोथी पाछो वळीने ते आत्मा मोक्षना मार्गे चाल्यो. –तेणे
मोक्षनो उत्सव पोतामां कर्यो.
अज्ञानमां आत्माए शुं कर्युं? रागादि विकल्पोने कर्या ने भोगव्या; बाकी बहारमां तो
कांई कर्युं नथी. हवे अहीं तो विकारमां जेने त्रास लाग्यो छे, भवना दुःखनो जेने थाक लाग्यो
छे, ने मोक्षना मार्गे आववा मांगे छे, –ते एम जाणे छे के ज्ञानपिंड मारो आत्मा रागादिनो
कर्ता–भोक्ता नथी, आनंदनो ज कर्ता–भोक्ता छे. अरे, मारा ज्ञानमां आ दुःख शा? –आ
परभावना वेदन केवा? ज्ञानमां तो शांति अने आनंद होय, –आम विवेक करीने धर्मी जीव
पोताना ज्ञानने राग अने हर्षादिथी जुदुं अनुभवे छे. ए अनुभवमां आनंदनी साची मीठाश
छे; बाकी लाडु वगेरे तो अचेतन छे, तेमां आनंद केवो? तेमां क्यांय चेतनना किरणो नथी,
चेतनप्रकाश तेमां नथी, ज्ञानकिरणोथी झगमगतो आत्मा प्रकाशे छे, तेनो अनुभव कर तो तारा
आत्मामां सादि–अनंत सुखनुं वर्ष बेसे. ज्ञानदीवडा वगर साची दीवाळी केवी! ज्ञानदीवडा जेना
आत्मामां प्रगट्या ते आत्मा शोभी ऊठ्यो, तेणे खरी दीवाळी प्रगट करी.