मागशर २४९४ : आत्मधर्म : ३७
२४ पांच आचार: दर्शनाचार, ज्ञानाचार, चारित्राचार, तपाचार, वीर्याचार.
२प पांच व्रत: अहिंसा, सत्य, अचौर्य, ब्रह्मचर्य, अपरिग्रह.
२६ पांच आस्रव: मिथ्यात्व, अव्रत, प्रमाद, कषाय, योग.
२७ पांच पाप: हिंसा, जूठुं, चोरी, अब्रह्मचर्य, परिग्रह.
२८ पांच पांडव: युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, नकुल, सहदेव.
२९ पांच भरतक्षेत्र: धातकीद्वीपमां बे, पुष्करद्वीपमां बे, जंबुद्वीपमां एक.
३० पांच ऐरवतक्षेत्र: धातकी द्वीपमां बे, पुष्करद्वीपमां बे, जंबुद्वीपमां एक.
[नं. २८ पांच पांडवो बाबत विशेषता: पांडव एटले पांडुराजाना पुत्रो, –तेओ
खरेखर पांच नहीं पण छ हता; छठ्ठा कर्ण. ते सौथी मोटा हता. पण महाभारतना
युद्धमां तेओ पोताना भाई अर्जुनना हाथे ज मृत्यु पाम्या. छेवटे कर्ण सिवायना पांच
पांडवो दीक्षा लईने सौराष्ट्रमां शत्रुंजय उपर पधार्या हता, त्यां त्रण मोक्ष पाम्या, ने बे
सर्वार्थसिद्धिमां गया. आथी शत्रुंजय ते सिद्धक्षेत्र छे.]
नीचेना दश बोलमां पांच वस्तु पूरी करो–
३१ (पांच समिति) ईर्यासमिति, भाषासमिति, एषणासमिति, आदाननिक्षेपणसमिति......
३२ (पांच परावर्तन) द्रव्यपरावर्तन, क्षेत्रपरावर्तन, काळपरावर्तन, भवपरावर्तन,......
३३ (पांच हेयतत्त्वो; छोडवा जेवा) अजीव, पुण्य, आस्रव, बंध, ......
३४ (पांच टूंक गीरनारनी) १– जिनमंदिर अने राजुलनी गूफा, २– अनिरूद्ध टूंक, ३– शंबुकुमारनी
टूंक, ४–पद्युम्ननी टूंक, प–......
३प (पांच अक्षर परमेष्ठीना) अ... सि... आ... उ... ...
३६ (पांच परमेष्ठीना प्रथम अक्षर “ मां) अ...अ...आ...उ ... ...
३७ (पांच लघुस्वर; अयोगीगुणस्थानना काळनुं माप) अ इ उ ऋ
३८ (पांच शरीर) औदारिक, वैक्रियिक, आहारक, तैजस,.........
३९ (पांच स्थावर) पृथ्वीकायिक, अप्कायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक......
४० (पांच त्रस) बेईन्द्रिय, त्रि–ईन्द्रिय, चौईन्द्रिय, पंचेन्द्रिय–असंज्ञी, ......