Atmadharma magazine - Ank 290
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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३६ : आत्मधर्म : मागशर २४९४
गतांकना प्रश्नोना जवाब–
(१) जीव अने शरीर, तेमां जीव अरूपी छे, शरीर रूपी छे. एटले बंने जुदा छे.
(२) मरूदेवी माताना लाडकवाया पुत्र भगवान ऋषभदेव.
त्रिशला माताना पुत्र भगवान महावीर.
शिवादेवी माताना पुत्र भगवान नेमिनाथ.
अचिरा माताना पुत्र भगवान शांतिनाथ.
(३) तिर्यंच, नरक, देव, मनुष्य अने सिद्ध–ए पांचगति छे; तेमांथी श्री महावीर
भगवान अत्यारे मोक्षमां एटले सिद्धगतिमां बिराजे छे.
श्री सीमंधर भगवान अत्यारे अर्हंतपणे मनुष्यगतिमां विचरे छे.
श्री कुंदकुंदाचार्यदेव अत्यारे देवपणे देवगतिमां बिराजे छे.
ते सौने नमस्कार हो.
(४) दश वस्तुमांथी, आपणे मोक्ष जशुं त्यारे आपणी पासे–सम्यग्दर्शन, सुख, ज्ञान
ने अस्तित्व ए चार वस्तु हशे; बाकीनी छ वस्तु–पुण्य, पाप, शरीर, दुःख,
आस्रव, निर्जरा–ते मोक्षमां होती नथी.
कोयडानो जवाब– “महावीर”
* * *
गतांकमां पूछेली पांच वस्तुनी पूर्णता
र१ पांच अरूपी द्रव्यो: धर्म, अधर्म, आकाश, काळ, जीव.
२२ पांच अस्तिकाय: जीव, धर्म, अधर्म, आकाश, पुद्गल.
२३ पांच अजीव द्रव्यो: पुद्गल, धर्मास्ति, अधर्मास्ति, काळ, आकाश.