Atmadharma magazine - Ank 290
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 38 of 45

background image
मागशर २४९४ : आत्मधर्म : ३५
निजशुद्धता) आत्मा परभावोथी छूटीने पूर्णानंद सिद्धदशा पामे–तेनुं नाम मोक्ष. ते
मोक्ष आत्मानी शुद्धपर्यायमां छे, अने बहारना क्षेत्रनी अपेक्षाए अढी द्वीपमां मोक्ष
थाय छे. तेनी प्राप्ति सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनी आराधना वडे थाय छे.
प्र:– जीव मूर्तिक छे के अमूर्तिक? ते केवडो मोटो छे?
उ:– जीव अमूर्तिक छे; ते सिद्धभगवान जेवडो मोटो छे. ने असंख्यातप्रदेशी छे.
संसारदशा वखते तेनो आकार स्वदेहप्रमाण होय छे, ने मुक्तदशामां अंतिमदेहथी जराक
ओछो आकार होय छे.
प्र:– ज्ञानीने ऊंघमां पण आत्मानुं ज्ञान होय?
उ:– अहो, एनी शी वात! ज्ञान अने रागना जुदा वेदनथी जे भेदज्ञान थयुं ते
ऊंघ वखतेय ज्ञानीने वर्ते ज छे. ऊंघमांय तेने राग साथे एकताबुद्धिनुं वेदन थतुं नथी,
चैतन्यभावने रागथी भिन्नपणे ज ते वेदे छे.
सौराष्ट्रमां पू. गुरुदेवनो मंगल विहार
सौराष्ट्रना अनेक गामोना मुमुक्षु मंडळो अने श्री संघो पू. गुरुदेवने
पधारवानी विनंति करवा आ मासमां आव्या हता. ते अनुसार सोनगढमां
फागण सुद बीजना उत्सव बाद गुरुदेवनो विहार शरू थशे–जे अंदाज अढी
मास जेटलो हशे; तेमां–लाठी, राजकोट, वडाल, पोरबंदर, जेतपुर, गोंडल,
वडीआ, मोरबी, वांकानेर, सुरेन्द्रनगर, वढवाण, जोरावरनगर, वींछीया ने
उमराळा–ए गामोनो कार्यक्रम विचाराई रह्यो छे. संपूर्ण कार्यक्रम निश्चित
थये हवे पछी प्रगट थशे. (ता. र९–११–६७)
बेसता वर्षे गुरुदेवना दर्शन करवा आवेला
सोनगढना दरबार कहे छे के–अमारे तो अहीं कल्पवृक्ष ऊग्युं
छे...दुनिया आखी दुःखी छे, पण अहीं आपनी पासे आव्या
ते बधा सुखी छे.