मोक्ष आत्मानी शुद्धपर्यायमां छे, अने बहारना क्षेत्रनी अपेक्षाए अढी द्वीपमां मोक्ष
थाय छे. तेनी प्राप्ति सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रनी आराधना वडे थाय छे.
उ:– जीव अमूर्तिक छे; ते सिद्धभगवान जेवडो मोटो छे. ने असंख्यातप्रदेशी छे.
ओछो आकार होय छे.
उ:– अहो, एनी शी वात! ज्ञान अने रागना जुदा वेदनथी जे भेदज्ञान थयुं ते
चैतन्यभावने रागथी भिन्नपणे ज ते वेदे छे.
फागण सुद बीजना उत्सव बाद गुरुदेवनो विहार शरू थशे–जे अंदाज अढी
मास जेटलो हशे; तेमां–लाठी, राजकोट, वडाल, पोरबंदर, जेतपुर, गोंडल,
वडीआ, मोरबी, वांकानेर, सुरेन्द्रनगर, वढवाण, जोरावरनगर, वींछीया ने
उमराळा–ए गामोनो कार्यक्रम विचाराई रह्यो छे. संपूर्ण कार्यक्रम निश्चित
थये हवे पछी प्रगट थशे. (ता. र९–११–६७)
छे...दुनिया आखी दुःखी छे, पण अहीं आपनी पासे आव्या
ते बधा सुखी छे.