Atmadharma magazine - Ank 290
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 42 of 45

background image
मागशर २४९४ : आत्मधर्म : ३९
धर्मवत्सल बालबंधुओ!
तमारा घणाना पत्रो मळ्‌या छे; केटलाक सभ्यो तरफथी दीपावलि–अभिनंदनना पत्रो मळ्‌या
छे. तमारो सौनो धार्मिक उल्लासभाव, ने ‘आत्मधर्म’ प्रत्येनो हार्दिक प्रेम छे ते बदल धन्यवाद!
विशेष हर्षनी वात ए छे के आपणा बालविभागनी सभ्यसंख्या आ अंकनी साथे ‘बे
हजार’ नो आंक वटावीने आगळ वधे छे. आ उत्साह बदल बधा ज सभ्योने धन्यवाद.
बधा सभ्योने दीपावलिकार्ड मोकल्या हता, तेमांथी केटलाकना सरनामा अधूरा होवाथी
पाछा आव्या छे. तो जेमने ते कार्ड मळ्‌युं न होय तेओ पोतानुं पूरुं सरनामुं ने सभ्यनंबर
लखी मोकलशो, जेथी ते प्रमाणे सुधारीने तमने कार्ड फरीने मोकलीशुं.
धांगध्रा, राजकोट, जेतपुर, प्रांतिज, अमदावाद वगेरेथी उल्लास भरेला पत्रो मळ्‌या छे,
ते हवे पछी रजु करीशुं. –जयजिनेन्द्र
नवा प्रश्न–
(१) आ भरतक्षेत्रमां ज्यारे नीचेना महापुरुषो थया त्यारे क्या तीर्थंकरो आ भरतभूमिमां
विचरता हता ते शोधी काढो–
श्रीकृष्ण; पांडवो; श्रेणीकराजा; भरतचक्रवर्ती; जंबुस्वामी.
(२) नीचेना गामोमां जईए तो आपणने कया महापुरुषो याद आवे छे? ते लखो–
पोन्नूर, श्रवणबेलगोल, अयोध्या, जुनागढ, सम्मेदशिखरनी छेल्ली टूंक, पावापुरी,
राजगृही, शौरीपुर, शत्रुंजय, हस्तिनापुर. (एक ज नाम लखशो तो चालशे.)
(३) नीचेना महापुरुषो कया गाममां थया?
भरतचक्रवर्ती, रामचंद्रजी, ऋषभदेव, बाहुबली, अनंतनाथ, अजितनाथ, अभिनंदन
भगवान, सुमतिनाथ.
आ अंकनो कोयडो–
गतांकमां ‘महावीर’ भगवाननो कोयडो तमे उकेल्यो, ते वांचीने आपणा सभ्य नं.
१७५४ रजनीभाईए पण एवा ज उकेलवाळो कोयडो मोकल्यो छे, जो के तेनो उकेल सहेलो छे,
–छतां न जडे तो आत्मधर्मना आसोमासना आपणा बालविभागमां (३प मा पाने) तेनो
जवाब समायेलो छे.–हवे तो शोधी काढशो ने?
चार अक्षरनुं नाम छे, जगजाहेर भगवान छे.
पहेलो ने बीजो अक्षर लेतां ‘घणुं’ एवो अर्थ थाय छे.
त्रीजो ने चोथो अक्षर लेतां ‘बहादूर’ एवो अर्थ थाय छे.
बीजो अने चोथो अक्षर लेतां अर्जुन याद आवे छे.
चोथा पछी बीजो अक्षर लेतां सोनुं तोलवानुं माप थाय छे. –ओळखशो ए
भगवानने?
(ए छे तो महावीरभगवान, छतां एनो जवाब (महावीर’ नथी.)