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जंबुस्वामीना वखतमां भगवान महावीर विचरता हता. भरतचक्रवर्तीना वखतमां
तेमना पिताजी भगवान ऋषभदेव विचरता हता.
उपर छे. सामेनी पहाडी उपर भगवान भद्रबाहुस्वामीनी गूफा छे. अयोध्यामां भगवान
आदिनाथ, अजितनाथ, अभिनंदनस्वामी, सुमतिनाथ अने अनंतनाथ तीर्थंकरो, तथा
भरतचक्रवर्ती, बाहुबली अने रामचंद्रजी वगेरे जन्म्या छे. सम्मेदशिखरजीनी छेल्ली टूंकेथी
भगवान पारसनाथ मोक्ष पधार्या छे. पावापुरीथी भगवान महावीर मोक्ष पधार्या छे.
राजगृहीमां मुनिसुव्रतनाथ भगवानना चार कल्याणक तेमज वीरनाथनी दिव्यध्वनिनो
प्रारंभ थयेल छे. श्रेणीक राजा अने चेलणा राणी अहीं थया छे. भगवाननुं भक्त एक
देडकुं ते पण आ ज नगरीमां थयुं छे (तेनी वार्ता आ अंकमां तमे वांचशो) शौरीपुरमां
नेमिनाथ भगवान जन्म्या, तथा चार मुनिवरो (धन्य मुनि वगेरे) अहीं अंतकृत केवळी
थया छे. शत्रुंजय तो सोनगढमां ऊभाऊभा रोज देखाय छे त्यांथी त्रण पांडवभगवंतो
मोक्ष पाम्या छे. हस्तिनापुरमां शांतिनाथ–कुंथुनाथ–अरनाथ त्रण तीर्थंकरो (चक्रवर्ती)
थया. ऋषभदेवनुं वर्षीतपनुं पारणुं श्रेयांसकुमारे आ नगरीमां ज कराव्युं.
भगवान ने सुमतिनाथ ए बधाय अयोध्यामां थया छे.
लेजो. नवा सभ्योना नाम, अने नवा प्रश्नो आगामी अंके आपीशुं.
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३३३, ३३४, ३३प, ३३६, प६६, पप०, ११७, ८०
(३२) (पांच परावर्तन) द्रव्यपरावर्तन, क्षेत्रपरावर्तन, काळपरावर्तन, भावपरावर्तन, भवपरावर्तन
(३३) पांच हेयतत्त्वो; (छोडवा जेवा) अजीव, पुण्य, आस्त्र, बंध, पाप.
(३४) (पांच टूंक गीरनारनी) १–जिनमंदिर अने राजुलानी गुफा, २– अनिरूद्धटूंक, ३–शंबुकुमारनी टूंक, ४–प्रद्युम्ननी
गुरुदत्तात्रयनी टूंक तरीके ओळखे छे) ते खरेखर नेमिनाथभगवानना मोक्षनी टूंक छे. ने त्यां जे पगलां छे ते
नेमिनाथप्रभुना छे. तेनी बाजुमां (जराक नीचे) पर्वतना मूळ पत्थरमां श्री नेमिनाथप्रभुनी मूर्ति कोतरेली छे.
सहेस्रावन (सहस्रआम्रवन) मां भगवाननी दीक्षा तथा केवळज्ञाननी उत्पत्ति थयेल छे–ते पण खास पूज्य स्थान छे.
(२) आपणा आत्मामां पण भगवान थवानी शक्ति छे. जेवो भगवानना आत्मानो स्वभाव छे तेवो ज आपणा
(४) आ भगवानने जराय रागद्वेष नथी, तेम आपणा आत्मस्वभावमां पण जराय राग–द्वेष नथी.
(प) भगवान जेवो पोतानो आत्मा छे–एवो विश्वास करवो तेनुं नाम सम्यग्दर्शन छे.
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राजकोट फा. सु. ४ थी फा. व. १ ता. ३ थी १प
वडाल फा. व. २ ता. १६ (अहींथी गुरुदेव
जेतपुर फा. व. १२ थी फा. व. ०) ता. २प थी २८
गोंडल चै. सु. १ थी चै. सु. ४ ता. २९ थी १
वडिया चै. सु. ४ (बीजी) थी चै. सु. ७ ता. २ थी प
वांकानेर चै. सु. १२ थी चै. सु. १प ता. १० थी १३
चोटीला चै. व. २ (वद १ नथी) ता. १४
सुरेन्द्रनगर चै. व. ३ थी चै. व. ६ ता. १प थी १८
वढवाण चै व. ७ थी चै. व. १० ता. १९ थी २२
जोरावरनगर चै. व. ११ थी चै. व. १३
ता. २३ थी २प
विंछीया चै. व १४ थी वै. सु. ६ ता. २६–४ थी ३–प
लींबडी वै. सु. ९ थी वै. सु. १४ ता. ६ थी ११
(वै. व. १, ता. १३–प–६८ सोमवारथी सोनगढमां
विद्यार्थीओना शिक्षणवर्गनो प्रारंभ थशे.)
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अवश्य वांचो. पृ. ४८० उत्तमपुस्तक: मूल्य साडा त्रण रूपिया)
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