Atmadharma magazine - Ank 291
(Year 25 - Vir Nirvana Samvat 2494, A.D. 1968)
(Devanagari transliteration).

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: पोष : २४९४ आत्मधर्म :२७:
(४८) समयसार प्रवचन: (हिन्दी) भाग १–२–३ अप्राप्त भाग ४ किं: रूा. ४–००
(४९) समयसार गुटको: (अर्थसहित मूळगाथाओ तथा गुजराती हरिगीत) किं. : ०–७प
(प०) जैन बालपोथीः (हिन्दी) सौने उपयोगी पुस्तक (जुओ नं. ४३) किं: पचीस पैसा
(प१) पंचकल्याणक प्रवचन: सोनगढ–राजकोट–वींछीया–लाठीमां कुल पांचवखतना
पंचकल्याणकना भावभीनां संस्मरणो; तथा ते वखतनां प्रवचनो; पंचकल्याणकने लगता
अनेक चित्रो सहित सुंदर संकलन दरेक जिज्ञासुने उपयोगी: किं: २–२प
(प२) जिनेन्द्रस्तवनमाळा: किं. : १–१२
(प३) अनेकान्तनुं रहस्य: श्रीमद्राजचंद्रजीना जन्मधाम ववाणीयामां पू. गुरुदेवनुं खास
प्रवचन जे अनेकान्तसंबंधी भ्रमणाओ दूर करे छे: (अप्राप्त)
(५४) भेदविज्ञानसारः (हिन्दी) (अप्राप्त)
(पप) नियमसार प्रवचनो: (भाग २) (जुओ नं. ८) किं. : १–६२
(प६) आत्मसिद्धि गूटको: (अर्थसहित गाथाओ) किं. : ०–६०
[५७] सम्यग्दर्शनः भाग १ [हिन्दी] (जुओ नं. ४१) अप्राप्त (भाग २–३ छपाया नथी.)
(प८) नियमसार–गुजराती: कुंदकुंदाचार्यदेव रचित मूळशास्त्र: संस्कृतटीका सहित गुजराती
अनुवाद: (अप्राप्त)
(प९) नियमसार (हरिगीत) अप्राप्त
(६०) समयसारप्रवचनः [भाग ३ हिन्दी] अप्राप्त
(६१) समयसार: कुंदकुंदाचार्यदेवरचित सर्वोच्च शास्त्र–जे आजे जैनसाहित्यना
मुगटमणिसमान छे. संस्कृतटीका सहित गुजराती अनुवाद: (अप्राप्त) नवी आवृत्ति
छपाय छे. –जे दीवाळी लगभगमां तैयार थवा संभव छे.
(६२) जिनेन्द्रपूजा पल्लव: मानस्तंभनी पूजा माटेनुं पुस्तक–किं. : ०–प०
(६३) समयसार–प्रवचन: भाग प बंधअधिकार प्रवचनो: (जुओ नं. २)
किं. त्रण रूपीया.
(६४) लघु जैनसिद्धांत प्रवेशीका: (हिन्दी) पाठशाळा माटे उपयोगी: अनेक आवृत्ति
छपायेल छे: किं: ०–३प